यमुनोत्री धाम उत्तराखंड | Yamunotri Temple Uttrakhand In Hindi.

आज मैं आपको “यमुनोत्री धाम उत्तराखंड” के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाला हूं, जिसे पूरा पढ़ने के बाद यमुनोत्री धाम की यात्रा करना आपके लिए काफी आसान हो जाएगा। यह मंदिर उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित है, जो समुद्र तल से करीब 3291 मीटर (10797 फूट) की ऊंचाई पर स्थित यमुना जी को समर्पित है। यह मंदिर उत्तराखंड के चार धामों में से एक है, जो पूरे दुनिया में यमुनोत्री धाम के नाम से प्रसिद्ध है।

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यमुनोत्री मंदिर कहां स्थित है ?

यह मंदिर उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र के उत्तरकाशी जिले में स्थित है, जिसका उद्गम स्थल बंदरपूंछ पर्वत के नीचे स्थित चंपासार ग्लेशियर है।

यमुनोत्री मंदिर के कपाट कब खुलते और बंद होते हैं ?

इस मंदिर का कपाट अन्य तीनों धाम के साथ ही खोला और बंद किया जाता है। मंदिर के कपाट मई में अक्षय तृतीया के दिन खुलता है और नवंबर में दीपावली के दूसरे दिन यानी भाई दूज के दिन बंद कर दिया जाता है। यह प्रक्रिया सालों से चलती आ रही है।

यमुनोत्री मंदिर के आसपास का मौसम –

गर्मी के दिनों में यहां का मौसम दिन में सुहावना और रात में ठंडा रहती है। सितंबर से नवंबर में दिन का मौसम सुहावना और रात में अधिक ठंड पड़ती है और नवंबर से मार्च के बीच बर्फ गिरने की वजह से दिन और रात में काफी ठंड पड़ती है और तापमान 0° से नीचे चला जाता है। इसलिए यमुनोत्री मंदिर जाते समय सीजन के अनुसार आप गर्म कपड़े ले जाना ना भूलें।

यमुनोत्री मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय –

इस मंदिर के दर्शन आप मई के अक्षय तृतीया और नवंबर में भाई दूज से पहले कभी भी कर सकते हैं, लेकिन सिर्फ इस मंदिर में ही नहीं बल्कि पूरे चार धाम यात्रा पर जाने का सबसे अच्छा समय सितंबर-अक्टूबर का महीना है, क्योंकि इन दो महीनों में ना तो ज्यादा धूप और ना ही बारिश होने की कोई संभावना होती है।

सितंबर और अक्टूबर में उत्तराखंड में चारों ओर प्राकृतिक नजारों को भी एंजॉय किया जा सकता है, क्योंकि इस समय में ही यहां पर सबसे ज्यादा प्राकृतिक सुंदरता देखने को मिलती है। साथ ही इस समय में वाहनों के साथ-साथ खाने-पीने और रहने का किराया भी कम हो जाता है, इसलिए इस समय में यमुनोत्री धाम एवं अन्य तीनों धाम की यात्रा को कम बजट में कंप्लीट किया जा सकता है।

यमुनोत्री मंदिर कैसे पहुंचे – How To Reach Yamunotri Temple In Hindi.

यमुनोत्री मंदिर तक पहुंचने के लिए आप फ्लाइट, ट्रेन, बस टैक्सी, कार या बाइक की सुविधा ले सकते हैं। तो चलिए जानते हैं कि अगर आप फ्लाइट, ट्रेन, बस और टैक्सी वगैरह से यमुनोत्री मंदिर जाना चाहते हैं, तो आप कहां तक इन सभी वाहनों की सुविधा लेकर जा सकते हैं और उसके बाद आप यमुनोत्री मंदिर कैसे पहुंच सकते हैं।

फ्लाइट से यमुनोत्री मंदिर कैसे पहुंचे ?

नजदीकी हवाई अड्डा जौलीग्रांट देहरादून में है। एयरपोर्ट से यमुनोत्री मंदिर जाने के लिए सबसे पहले आपको ऋषिकेश जाना पड़ेगा, जहां से सीधे यमुनोत्री मंदिर का निकटतम सड़क बिंदु जानकी चट्टी के लिए बस और टैक्सी वगैरह की सुविधा उपलब्ध होती है।

ट्रेन से यमुनोत्री मंदिर कैसे पहुंचे ?

नजदीकी रेलवे स्टेशन हरिद्वार और ऋषिकेश में है। हरिद्वार और ऋषिकेश से सीधे यमुनोत्री मंदिर (जानकी चट्टी) जाने के लिए बस और टैक्सी वगैरह की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।

बस से यमुनोत्री मंदिर कैसे पहुंचे ?

बस से यमुनोत्री मंदिर जाने के लिए सबसे पहले आपको ऋषिकेश या हरिद्वार जाना होगा, जहां से सीधे यमुनोत्री (जानकी चट्टी) मंदिर जाने के लिए बस, टैक्सी, जीप और बोलेरो वगैरह की सुविधा उपलब्ध होती है।

ऋषिकेश से सड़क मार्ग द्वारा यमुनोत्री मंदिर का रूट –

ऋषिकेश से सड़क मार्ग द्वारा यमुनोत्री मंदिर जाने के दो रूट है, जिनमें से आप किसी भी एक रूट को फॉलो करके यमुनोत्री मंदिर पहुंच सकते हैं।

1 . Rishikesh – Dehradun – Mussoorie – Yamuna Bridge – Barkot (last petrol pump) – Yamunotri.

2 . Rishikesh – Narendra Nagar – Chamba Band – Dharasu – Barkot (last petrol pump) – Yamunotri.

(इन्हें भी पढ़े : – किसी भी ट्रेक पर जाते समय क्या-क्या लेकर जानी चाहिए

> केदारनाथ मंदिर उत्तराखण्ड)

बड़कोट-यमुनोत्री सड़क मार्ग पर अंतिम पेट्रोल पंप बड़कोट में है।

अगर आप यमुनोत्री धाम अपने बाइक या कार से जा रहे हैं, तो आप इन दोनों रूट में से किसी भी एक रूट को फॉलो करके यमुनोत्री मंदिर तक आसानी से पहुंच सकते हैं। बड़कोट-यमुनोत्री धाम वाले रास्ते में बड़कोट के अलावा एक भी पेट्रोल पंप नहीं है, इसलिए यमुनोत्री धाम जाते समय आप यहां से पेट्रोल भरवा लें। आगे आपको कहीं-कहीं ब्लैक में पेट्रोल मिल सकता है, लेकिन आपको उसके ऊपर ज्यादा भरोसा नहीं करना चाहिए।

यमुनोत्री मंदिर जाते समय खाने-पीने और रात को ठहरने की सुविधा –

यमुनोत्री मंदिर जाते समय रात को ठहरने का यमुनोत्री मंदिर का सबसे नजदीकी जगह जानकी चट्टी है, जहां से यमुनोत्री मंदिर की 6 किमी. की पैदल यात्रा शुरू होती है। जानकी चट्टी से पहले भी खाने-पीने और रात को ठहरने की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। जैसे :-

हनुमान चट्टी – जानकी चट्टी से 8.5 किमी. पहले।

राणा चट्टी – जानकी चट्टी से 11 किमी. पहले।

स्याना चट्टी – जानकी चट्टी से 16 किमी. पहले।

बड़कोट – जानकी चट्टी से 45 किमी. पहले।

किसी कारणवश जानकी चट्टी ना पहुंच पाने की वजह से आप इन जगहों पर रात में ठहर सकते हैं, जहां पर खाने-पीने और रात को ठहरने के लिए होटल्स और गेस्ट हाउस की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।

यमुनोत्री धाम की यात्रा करते समय ध्यान देने योग्य बातें –

1 . चढ़ाई करने से पहले फिजिकली और मेंटली प्रिपेयर होना बहुत जरूरी है।

2 . यमुनोत्री मंदिर की चढ़ाई करने से पहले आप अपने पैर के नाखून काट कर बिल्कुल छोटा कर लें, क्योंकि जूता पहन कर चढ़ाई करते समय तो नहीं, लेकिन चढ़ाई से नीचे उतरते समय पैर के नाखून बड़े होने पर नाखून की वजह से पैर का ऊंगली भी काफी ज्यादा दर्द होने लगता है।

3 . अगर आपको ज्यादा चलने में दिक्कत होती है, तो आप इस यात्रा को शुरू करने से एक सप्ताह पहले टहलने या दौड़ने की आदत डाल लें। वरना आप घोड़ा, खच्चर, पालकी या डंडी की सुविधा लेकर चढ़ाई को पूरा कर सकते हैं।

4 . अपने पास एक स्टिक रखें, क्योंकि स्टिक की मदद से चढ़ाई करना काफी आसान हो जाता है। लकड़ी का स्टिक जानकी चट्टी से ₹ 20 में मिल जाती है, जहां से यमुनोत्री मंदिर की 6 किमी. की चढ़ाई शुरू होती है।

5 . रेन कोट लेकर जरूर जाएं, क्योंकि यहां पर गर्मी के दिनों में भी बारिश होती रहती है और वैसे भी पहाड़ों पर बारिश होने की संभावना हमेशा बनी रहती है।

6 . चढ़ाई करते समय ट्रेकिंग या स्पोर्ट्स शूज रहने से चढ़ाई करने में आसानी होती है, इसलिए अगर हो सके तो आप भी इस चढ़ाई को पूरा करने के लिए ट्रेकिंग या स्पोर्ट्स शूज खरीद लें।

7 . सीजन के अनुसार गर्म कपड़े जरूर रखें, क्योंकि यहां सालों भर थोड़ी बहुत ठंड महसूस किया जा सकता है।

8 . चढ़ाई करते समय अपने पास 1 लीटर पानी जरूर रखें। वैसे चढ़ाई वाले रास्ते पर जगह-जगह पर पानी की सुविधा उपलब्ध है, फिर भी आपको उसके ऊपर ज्यादा भरोसा नहीं करना चाहिए।

9 . यमुनोत्री मंदिर की चढ़ाई वाले रास्ते पर जगह-जगह पर नोटिस बोर्ड भी लगे हुए हैं, जिन्हें फॉलो करते हुए यमुनोत्री मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।

10 . अस्थमा के मरीज को यमुनोत्री मंदिर जाने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह ले लेनी चाहिए।

11 . यमुनोत्री मंदिर की चढ़ाई को सुबह जल्द ही शुरू करने की कोशिश करें, ताकि आप शाम तक सूर्यास्त होने से पहले जानकी चट्टी पहुंच सकें, क्योंकि यमुनोत्री मंदिर के आसपास रात को ठहरने की सुविधा उपलब्ध नहीं होती है।

यमुनोत्री मंदिर की चढ़ाई करते समय मिलने वाली सुविधाएं –

यमुनोत्री मंदिर की चढ़ाई करते समय जगह जगह पर पानी की सुविधा, खाने पीने की सुविधा, टॉयलेट और बाथरूम की व्यवस्था, धूप और बारिश से बचने के लिए जगह-जगह पर टीने के शेल्टर्स (shelters) लगे हुए हैं। यमुनोत्री मंदिर की चढ़ाई वाले पूरे रास्ते में खाई की तरफ रेलिंग और जगह-जगह पर नोटिस बोर्ड भी लगे हुए हैं।

मुझे उम्मीद है कि मेरे द्वारा “यमुनोत्री धाम उत्तराखंड” के बारे में दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। अगर इस पोस्ट से संबंधित आपका कोई सवाल हो, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। मैं आपको जवाब देने की कोशिश जरूर करूंगा।

धन्यवाद !

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