भूलकर भी न जाएं केदारनाथ वरना मुसीबत से बचना नामुमकिन है|

दोस्तों आपको भी मालूम है कि इस समय केदारनाथ के साथ-साथ चार धाम का सीजन चल रहा है और ऐसे में देश के हर एक कोने से केदारनाथ धाम के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। आपको बता दें कि उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रतिदिन केदारनाथ के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या मात्र 12,000 निर्धारित किया गया था, लेकिन आज प्रतिदिन केदारनाथ धाम के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 20,000-25,000 हो जा रही है।

दोस्तों केदारनाथ धाम के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या काफी अधिक होने की वजह से केदारनाथ धाम जाने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ को कंट्रोल करना काफी मुश्किल हो गया है, जिसकी वजह से प्रशासन और श्रद्धालुओं को भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। आइए अब विस्तार से जानते हैं कि इस समय केदारनाथ जाने वाले श्रद्धालुओं को किन-किन मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है।

केदारनाथ के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ में वृद्धि होने की वजह से होने वाले नुकसान –

केदारनाथ धाम के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ काफी अधिक हो जाने के कई सारे नुकसान हैं, जिन्हें आप एक-एक करके नीचे पढ़ सकते हैं।

रेस्टोरेंट और होटल वगैरह की कमी –

दोस्तों ये जाहिर सी बात है कि अगर किसी जगह पर 10 लोगों के खाने-पीने और रहने की व्यवस्था की गई है और वहां 20-25 लोग चले जाएंगे, तो अचानक से और वो भी करीब 12,000 फीट ऊंचे पहाड़ पर सभी लोगों के खाने-पीने और रहने की व्यवस्था करना काफी मुश्किल हो जाता है और अगर ऐसा ही प्रत्येक दिन चलता रहा, तो इस मुसीबत का समाधान करना नामुमकिन ही हो जाएगा।

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ठीक ऐसा ही आज केदारनाथ धाम के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं के साथ हो रहा है। ना तो उन्हें खाने-पीने के लिए भरपेट भोजन मिल रहा है और ना ही रहने के लिए होटल और टेंट वगैरह की सुविधा। ऐसे में बिना होटल की करके जाने वाले श्रद्धालुओं के साथ-साथ बुकिंग करके जाने वाले श्रद्धालुओं को भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

प्रशासन की असफलता –

जिस तरह से उत्तराखंड सरकार द्वारा केदारनाथ धाम के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या निर्धारित की गई थी, ठीक उसी तरह से उन सभी श्रद्धालुओं की देख-रेख के लिए प्रशासन की व्यवस्था भी की गई थी, लेकिन आज केदारनाथ धाम के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या निर्धारित किए जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या से लगभग दोगुनी हो गई है, जिसकी वजह से शुरुआत में प्रशासन को भी उन सभी श्रद्धालुओं की देख-रेख में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था।

लेकिन वे लोग इस बात को सोंचकर श्रद्धालुओं की देख-भाल करने में डंटे रहे कि कुछ दिनों के बाद श्रद्धालुओं की भीड़ कम हो जाएगी, लेकिन आज भी श्रद्धालुओं की भीड़ उसी रफ्तार में होने की वजह से प्रशासन भी श्रद्धालुओं की देखभाल करने में असफल हो चुकी है। अगर इस समय की बात करें, तो केदारनाथ जाने वाले श्रद्धालुओं की देखभाल करने के लिए प्रशासन भी पूरी तरह से असफल हो गई है।

चारों तरफ गंदगी ही गंदगी –

भीड़ अधिक होने और प्रशासन की कमी से जहां एक तरफ लोगों को संभाल पाना मुश्किल हो रहा था, तो दूसरी तरफ होटल और टेंट वगैरह में रात को ठहरने की सुविधा ना मिलने की वजह से श्रद्धालु जैसे तैसे ऐसे ही श्रद्धालु रात बिताए और खाने-पीने का कचरा भी सभी जगह फैला दिए।

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यहां तक कि केदारनाथ जैसे भारत के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों को लोग पिकनिक स्पॉट समझ लिए हैं और केदारनाथ मंदिर के आसपास के एरिया में नॉन वेज के साथ-साथ शराब वगैरह का भी सेवन कर रहे हैं। भले ही अब नॉन वेज और शराब वगैरह पर रोक लगा दी गई है लेकिन दुःख की बात यह है कि इस समय भी केदारनाथ मंदिर के आसपास कचरे की ढेर बढ़ती जा रही है।

बच्चे और बूढे़ लोगों के साथ-साथ अन्य श्रद्धालुओं को भी ट्रेकिंग में होने वाली असुविधा –

आपको भी मालूम होगा कि केदारनाथ मंदिर की ट्रेकिंग गौरीकुंड से शुरू होती है, जो करीब 16-18 किमी. की होती है। एक तरफ तो खासकर बच्चे और बूढे़ लोगों को ट्रेकिंग करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, तो दूसरी तरफ भीड़ अधिक होने की वजह से उन्हें 16-18 किमी. की ट्रेकिंग करने के साथ-साथ एक तरफ पहाड़ और दूसरी तरफ गहरी खाई को ध्यान में रखते हुए भीड़ और घोड़े एवं खच्चर वगैरह का भी सामना करना पड़ रहा है, जिसकी वजह से हादसा होने की संभावना भी काफी बढ़ गई है।

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इस बात को आप समझ ही सकते हैं कि भीड़ अधिक होने की वजह से घोड़े, खच्चर और पालकी के मिलने के साथ-साथ घोड़े, खच्चर और पालकी से केदारनाथ की चढ़ाई कम्प्लीट करने में काफी ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता होगा।

बारिश होने की वजह से श्रद्धालुओं के साथ हुई दुर्घटना –

अभी हाल ही में केदारनाथ में भारी वर्षा हुई थी, जिसमें केदारनाथ की यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं को भीड़ के साथ-साथ बारिश की वजह से भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा और यहां तक कि बारिश होने पर गौरीकुंड और केदारनाथ के बीच के रास्ते भी टूट चुके थे, जिसमें कुल 41 श्रद्धालुओं की मौत भी हो चुकी है।

दोस्तों अगर आप केदारनाथ से जुड़ी इन खबरों के बाद भी आप केदारनाथ धाम की करने जाने का प्लान बना रहे हैं, तो इसमें मैं आपको रोकने की कोशिश नहीं करूंगा। मेरा काम यही है कि मेरे इस वेबसाइट पर जितने भी पाठक पर्यटन और धार्मिक स्थलों के साथ-साथ अन्य जानकारियां प्राप्त करने के लिए आते हैं, मैं उन तक सही जानकारी पहुंचा सकूं। अब आपको केदारनाथ जाना है, तो आप बेफिक्र होकर जा सकते हैं।

केदारनाथ किस महीने में जाना चाहिए?

दोस्तों अगर आप सितंबर या फिर अक्टूबर के महीने में केदारनाथ धाम की यात्रा करने जाते हैं, तो आपको भीड़ काफी कम संख्या में मिलेगी। सितंबर के शुरुआती दौर में में तो आपको थोड़ी-सी भीड़ मिल सकती है, लेकिन 20 सितंबर के बाद केदारनाथ जाने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ काफी कम हो जाती है और ऊपर में अगर अपने ध्यान से पढ़ा हो, तो इस समय केदारनाथ धाम की यात्रा पर होने वाली सभी मुश्किलों की मुख्य वजह श्रद्धालुओं की अधिक भीड़ है, जिसका समाधान सितंबर और अक्टूबर में केदारनाथ की यात्रा करना है।

उम्मीद है कि केदारनाथ से संबंधित यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। अगर आपका कोई दोस्त ऐसा है, जो केदारनाथ की यात्रा पर जाने वाला है, तो आप अपने दोस्त के पास यह पोस्ट शेयर जरूर करें।

धन्यवाद।

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