त्सो कर झील लद्दाख | Tso Kar Lake Ladakh In Hindi | Tso Kar Wetland Complex.

इस पोस्ट में मैंने “त्सो कर झील लद्दाख” के बारे में विस्तृत जानकारी दिया है। तिब्बती में “त्सो” का अर्थ ‘झील’ और “त्सो कर” अर्थ ‘सफेद झील’ होता है। अगर इस पोस्ट को आप पूरा पढ़ लेते हैं, तो त्सो कर झील को विजिट करने के बाद आपको उसके बारे में अलग से जानकारी प्राप्त नहीं करनी पड़ेगी। आइए अब जान लेते हैं रामसर साइट की सूची में शामिल त्सो कर झील के बारे में-

त्सो कर झील कहां स्थित है ?

त्सो कर झील लद्दाख, जो भारत का एक केंद्र शासित राज्य है, के चांगथंग क्षेत्र में स्थित एक खारे पानी की झील है, जिसका नाम लद्दाख की सबसे ऊंची झीलों की सूची में भी शुमार है।

नोट:- त्सो कर झील दो हिस्सों में बंटा हुआ है, जो इस प्रकार से है-

त्सो कर झील – यह 1800 हेक्टेयर में फैली हुई खारे पानी की एक बड़ी झील है, जो उत्तर दिशा में फैली हुई है।

स्टारत्सपुक त्सो (झील) – यह 438 हेक्टेयर में फैली हुई मीठे पानी की एक छोटी-सी झील है, जो दक्षिण दिशा में स्थित है।

ये दोनों झील आपस में एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और इन दोनों झीलों को आपस में जुड़े होने के बाद इस झील को त्सो कर कॉम्प्लेक्स झील के नाम से जाना जाता है, जिसे रामसर साइट का दर्जा दिया गया है।

स्टारत्सपुक झील, त्सो कर झील से ऊंचाई पर स्थित है, जिसकी वजह से स्टारत्सपुक झील में पानी अधिक हो जाने से स्टारत्सपुक झील का पानी ऊपर से बहकर (over flow होकर) त्सो कर झील में जाने लगता है, जिससे इन दोनों झीलों का पानी एक-दूसरे में विलय हो जाता है। विलय होने के बाद ये दोनों झील मिलकर त्सो कर कॉम्प्लेक्स का रूप ले लेते हैं और स्टारत्सपुक झील का पानी मीठा होने के बावजूद भी खारे पानी की त्सो कर झील में मिलने के बाद खारा हो जाता है।

त्सो कर कॉम्प्लेक्स झील के आसपास के स्थानीय लोगों का कहना है कि यह झील पहले बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ था, लेकिन वर्तमान समय में यह झील सिकुड़ कर काफी छोटा हो गया है। जैसा कि मैंने ऊपर में ही आपको इस झील के क्षेत्रफल के बारे में बताया है, जिससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह झील प्राचीन समय में कितने बड़े क्षेत्र में फैला हुआ होगा।

त्सो कर झील की लंबाई, चौड़ाई और समुद्र तल से ऊंचाई कितनी है?

त्सो कर झील की लंबाई 4.5 मील (7.5 किमी.), चौड़ाई 1.4 मील (2.3 किमी.) और समुद्र तल से ऊंचाई 14,860 फीट (4,530 मीटर) है।

इस झील की ऊंचाई ज्यादा होने की वजह से यहां पर जाने के बाद आपको ऑक्सीजन की कमी महसूस हो सकती है, इसलिए इस झील को विजिट करते समय आप अपने साथ एल्टीट्यूड सिकनेस से बचने के लिए सभी प्रकार के मेडिसिन अपने पास रखना न भूलें, वरना आप अपनी एक छोटी-सी गलती की वजह से एटीट्यूड सिकनेस का शिकार हो सकते हैं। एल्टीट्यूड सिकनेस के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए आप नीचे के इस लिंक पर क्लिक कर सकते हैं।

इसे भी जरूर पढें:- एल्टीट्यूड सिकनेस (AMS) क्या है एवं इससे कैसे बचें।

त्सो कर झील के आस पास दिखाई देने वाले पक्षी –

इस झील के आसपास के क्षेत्रों में भारत के काले गर्दन वाले सारस पक्षी दिखलाई पड़ते हैं, जिनका यह क्षेत्र इनके प्रजनन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अलावा भी इस झील के क्षेत्र में आपको कई अन्य पक्षियों की प्रजातियां देखने को मिल जाएंगी।

त्सो कर झील के आस पास दिखाई देने वाले पशु –

इस झील के आसपास के क्षेत्रों में तिब्बती गजेल (Gazelle), तिब्बती भेड़ियां और तिब्बती लोमड़ी को आसानी से देखा जा सकता है। यह क्षेत्र इन पशुओं के सबसे पसंदीदा स्थानों में से एक है।

इस झील के आसपास आपको जानवरों की कई अलग-अलग प्रजातियां भी देखने को मिल जाएगी, क्योंकि इस झील के आसपास के स्थानीय लोग याक और घोड़ा पालते हैं, जिनका इस्तेमाल वे लोग यहां आने वाले पर्यटकों के सवारी के रूप में करते हैं और यह धंधा उनकी कमाई का एक बहुत बड़ा साधन है।

रामसर साइट की सूची में त्सो कर झील की भूमिका –

त्सो मोरीरी भारत के केंद्र शासित राज्य लद्दाख में स्थित पहला ऐसा झील (जगह) है, जिसे अर्द्धभूमि परिसर अंतरराष्ट्रीय महत्व के रामसर साइट की सूची में शामिल किया गया था, लेकिन त्सो मोरीरी झील के बाद त्सो कर झील को भी रामसर साइट की सूची में शामिल किया गया है। इस झील को रामसर साइट की सूची में शामिल करने के बाद भारत में अंतर्रष्ट्रीय मान्यता प्राप्त अर्द्धभूमियों की संख्या 42 हो गई थी, जो लद्दाख का दूसरा ऐसा स्थल है, जिसे रामसर साइट का मान्यता प्राप्त है।

(इन्हें भी पढ़े:- त्सो मोरीरी झील लद्दाख)

रामसर कन्वेंशन की शुरुआत कब और कहां हुआ था ?

इस कन्वेंशन की शुरुआत 1971 ई० में ईरान देश में हुआ था, जिसे भारत में 1 फरवरी 1982 ई० को लागू किया गया था।

लेह से त्सो कर झील की दूरी कितनी है ?

यह झील लेह से लगभग 150 किमी. की दूरी पर दक्षिण दिशा में स्थित है और इस दूरी को तय करने में आपको करीब चार घंटे (4 hour) का समय लग सकता है।

श्रीनगर से त्सो कर झील की दूरी कितनी है ?

यह झील श्रीनगर से लगभग 560 किमी. की दूरी पर स्थित है और मैं आपको यही सुझाव दूंगा कि आप इस दूरी को जल्दीबाजी में कम्प्लीट करने की कोशिश ना करें, तो आपके लिए अच्छा रहेगा। ऐसा मैं इसलिए बता रहा हूं, क्योंकि समुद्र तल से श्रीनगर की ऊंचाई त्सो कर झील से काफी कम है और ऐसे में अगर आप जल्दीबाजी में ड्राइव करके त्सो कर झील पहुंच जाते हैं, तो मुझे यकीन है कि आप एल्टीट्यूड सिकनेस हो जाएंगे।

त्सो कर झील जाने के कितने मार्ग (route) हैं ?

त्सो कर झील जाने के दो मार्ग है, जो इस प्रकार से है-

1 . लेह मनाली हाईवे – अगर आप त्सो कर झील जा रहे हैं, तो आप लेह-मनाली राजमार्ग होते हुए पांग-डेबरिंग इंटरसेक्शन प्वाइंट (pang-debring intersection point) से त्सो कर झील पहुंच सकते हैं।

2 . पैंगोंग झील – अगर आप पैंगोंग झील गए हुए हैं और वहां से त्सो कर झील जाना चाहते हैं, तो आप वहां से भी त्सो कर झील जा सकते हैं। पैंगोंग झील से त्सो कर झील जाने के लिए तीन तरह के मार्ग बने हुए हैं। आप जिस भी मार्ग से त्सो कर झील जाना चाहें, वहां से आसानी से पहुंच सकते हैं।

मुझे उम्मीद है कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगी हो, तो आप इस जानकारी को अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और आसपास के लोगों के साथ शेयर जरूर करें, जिससे वे लोग भी त्सो कर झील लद्दाख के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें।

अगर इस पोस्ट से संबंधित आपका कोई सवाल हो, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं और अगर आपको लद्दाख के किसी अन्य पर्यटन स्थल के बारे में जानकारी चाहिए हो, तो आप हमें कमेंट जरूर करें।

धन्यवाद।

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