कैला देवी मंदिर राजस्थान के करौली जिले में स्थित है, जिन्हें भगवान श्री कृष्ण की बहन माना जाता है। कैला देवी मंदिर में माता कैला देवी के साथ चामुंडा माता भी विराजित हैं। माना जाता है कि माता कैला देवी मंदिर में आए भक्तों को कभी खाली हाथ नहीं जाने देती हैं। आइए जानते हैं माता कैला देवी के इतिहास और इनसे जुड़ी अन्य जानकारियों के बारे में –
कैला देवी मंदिर कहां स्थित है ?
कैला देवी मंदिर राजस्थान के करौली जिले में त्रिकूट पहाड़ियों की तलहटी में कैला गांव में स्थित है, जिसका निर्माण राजा भोजपाल ने 1600 ई० में करवाया था।
कैला देवी मंदिर का इतिहास – History of Kaila Devi Temple Karauli Rajasthan In Hindi.
दोस्तों आपमें से बहुत सारे लोग मथुरा के राजा कंश और भगवान श्री कृष्ण के बारे में जानते होंगे। जब कंस की बहन देवकी का विवाह वासुदेव के साथ हुआ, तो वे अपने पति के साथ ससुराल जा रही थीं। तभी आकाशवाणी हुई की कंश ! तुम्हारी मौत देवकी के आठवें पुत्र के हाथों लिखी है। इसके बाद कंश ने अपनी मौत के डर से देवकी और वासुदेव को अपने ही राज्य के कारागार में डाल दिया।
पहले तो देवकी की सात पुत्रियां हुई, लेकिन कंश यह बात जानते हुए भी की उसकी मौत देवकी और वासुदेव के आठवें पुत्र से होने वाली है, कंस ने उन सातों पुत्रियों का वध कर दिया।
जब देवकी और वासुदेव के आठवें पुत्र के रूप में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ, तो उसी समय गोकुल के नंद जी की भी एक पुत्री हुई थी। वासुदेव जी ने उसी रात गोकुल के नंद जी के घर जाकर श्री कृष्ण भगवान को वहीं पर छोड़ कर नंद जी की पुत्री को अपने साथ मथुरा में लेकर आ गए।
अगले दिन सुबह जब यह बात कंश को पता चला कि देवकी और वसुदेव की पुत्री हुई है, तो यह बात जानते हुए भी कि उसकी मृत्यु उसकी बहन देवकी के आठवें पुत्र के द्वारा होने वाली है, कंश ने उस कन्या को भी मारने के लिए लेकर चला गया। जैसे ही कंश ने उस कन्या को मारने की कोशिश की, तो वह कन्या कंश के हाथों से उड़ गई और बोली की तुम्हें मारने वाला श्री कृष्ण धरती पर जन्म ले लिया है और इतना कह कर वह कन्या वहां से गायब हो गई।
दोस्तों आपको बता दूं कि उस कन्या का नाम योगमाया था, जिन्हें श्री कृष्ण भगवान की बहन माना जाता है और योगमाया ही कैला देवी के नाम से प्रसिद्ध हुईं, जिनका मंदिर राजस्थान के करौली जिले में स्थित है।
माता कैला देवी का चेहरा टेढ़ा होने का रहस्य –
कुछ लोगों का मानना है कि माता कैला देवी का एक भक्त माता का दर्शन करने के लिए मंदिर में आया था, लेकिन किसी कारणवश उस भक्त को मंदिर में दर्शन करने की अनुमति नहीं मिलने पर वह भक्त अपने घर की ओर रवाना हो गया। माना जाता है कि माता का भक्त जिस दिशा में गया था, उसी दिशा में माता कैला देवी का चेहरा हो गया है, जिसकी वजह से उनका चेहरा थोड़ा-सा टेढ़ा दिखाई देता है।
कुछ लोगों का यह भी मानना है कि माता का दर्शन करने आए एक भक्त ने माता के दर्शन करने के बाद उनसे कहा कि माता मैं आपसे दोबारा मिलने के लिए वापस जरूर आऊंगा। कहा जाता है कि उस भक्त के इंतजार में ही माता कैला देवी आज भी अपना चेहरा उसी दिशा में की हुई हैं। यही कारण है कि माता कैला देवी का चेहरा थोड़ा-सा टेढ़ा दिखाई देता है। दोस्तों मैं आपको यह नहीं बता सकता कि इन दोनों कथाओं में से कौन-सा कथा सत्य है।
कैला देवी मंदिर में माता कैला देवी के साथ चामुंडा माता की प्रतिमा भी स्थापित की गई, जहां दाईं तरफ माता चामुंडा देवी और बाईं तरफ माता कैला देवी की प्रतिमा स्थापित है। माता कैला देवी को दुर्गा माता का ही एक रूप माना जाता है और पूरे राजस्थान में सिर्फ कैला देवी का ही एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां पर जानवरों की बली नहीं दी जाती है।
माता कैला देवी मंदिर में मेले का आयोजन –
भगवान श्री कृष्ण की बहन होने की वजह से चैत्र शुक्ल अष्टमी के दिन हर साल कैला देवी मंदिर में मेला का आयोजन होता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु मां कैला देवी मंदिर के दर्शन करने आते हैं। मेले में लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति की वजह से इस मेले को लक्खी मेला के नाम से भी जाना जाता है।
कैला देवी मंदिर कैसे पहुंचे ? – How to Reach Kaila Devi Temple Karauli Rajasthan In Hindi.
नजदीकी हवाई अड्डा जयपुर है, जो मंदिर से करीब 165 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। नजदीकी रेलवे स्टेशन नारायणपुर ततवारा है, जिसकी दूरी मंदिर से करीब 37 किलोमीटर है और नजदीकी बस स्टैंड कैला देवी मोड़ ही है। एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन से माता केल देवी मंदिर तक बस और टैक्सी से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
मैं आशा करता हूं कि यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। अगर इस पोस्ट से संबंधित आपका कोई सवाल हो, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में बताना ना भूलें।
धन्यवाद !
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