तुंगनाथ मंदिर चोपता उत्तराखण्ड के तुंगनाथ पर्वत पर स्थित है, जो भगवान शिव को समर्पित पंचकेदार का एक हिस्सा है। तुंगनाथ मंदिर दुनिया के सबसे ऊंचाई पर स्थित भगवान शिव का मंदिर है, जहां पर भगवान शिव के हृदय और भुजाओं की पूजा होती है। तो चलिए आज के इस ब्लॉग में हमलोग तुंगनाथ महादेव मंदिर के बारे में संपूर्ण जानकारी को पूरे बेहतर तरीके से जानने और समझने की कोशिश करते हैं।
तुंगनाथ महादेव मंदिर कहां स्थित है ?
तुंगनाथ पर्वत पर भोलेनाथ को समर्पित यह मंदिर उत्तराखण्ड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है, जो चोपता, जिसे मिनी स्वीटजरलैंड के नाम से जाना जाता है, से 3.5 किमी. की दूरी पर तुंगनाथ पर्वत पर स्थित है।
तुंगनाथ महादेव मंदिर की स्थापना कब और किसने करवाया था ?
तुंगनाथ महादेव मंदिर का इतिहास आज से करीब 1000 वर्षों से भी पुराना माना जाता है, जिसका निर्माण पांडवों ने कुरुक्षेत्र के युद्ध में अपने हाथों से हुए अपने ही कुल के लोगों के नरसंहार के पाप से बचने के लिए करवाया था। इस युद्ध में पांडवों के द्वारा हुए नरसंहार से भगवान शिव उनसे बहुत नाराज थे, जिन्हें खुश करने और अपने ऊपर के पाप से बचने के लिए पांडवों ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था।
तुंगनाथ महादेव मंदिर के कपाट कब खुलते और बंद होते हैं ?
मंदिर के कपाट मई के महीने में खुलते हैं और नवंबर में दीपावली के समय बंद कर दिए जाते हैं। अब आप सोंच रहे होंगे कि आखिर ऐसा क्यों, तो मैं आपको बता दूं कि नवंबर-फरवरी और कभी-कभी मार्च तक इस मंदिर सहित अन्य क्षेत्रों में काफी मात्रा में बर्फबारी जारी रहता है, जिसकी वजह से नवंबर में दीपावली के दो दिन बाद भाई दूज को मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और ठंड थोड़ी-सी कम होने के बाद अप्रैल-मई में अक्षय तृतीया के दिन मंदिर के कपाट खोल दिए जाते हैं।
तुंगनाथ मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय –
अगर आपको तुंगनाथ मंदिर के दर्शन करने के साथ-साथ थोड़ा-बहुत एडवेंचर पसंद है, तो आप नवंबर में दीपावली से पहले इस यात्रा को पूरा कर सकते हैं, क्योंकि नवंबर महीने में मंदिर के दर्शन करने के साथ-साथ आप बर्फ के मजे भी ले सकते हैं।
तुंगनाथ मंदिर कैसे जाएं ?
तुंगनाथ मंदिर जाने के लिए सबसे पहले आपको चोपता (मिनी स्वीटजरलड) जाना पड़ेगा, जो तुंगनाथ मंदिर से करीब 3.5 किमी. की दूरी पर स्थित है और चोपता से ही तुंगनाथ मंदिर की चढ़ाई शुरू होती है। चोपता से तुंगनाथ मंदिर आप पैदल ट्रेक करके 2-3 घंटे में पहुंच सकते हैं या आप चाहें तो तुंगनाथ मंदिर की चढ़ाई करने के लिए घोड़े या खच्चर की सुविधा भी ले सकते हैं।
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हवाई जहाज से तुंगनाथ मंदिर कैसे जाएं ?
तुंगनाथ मंदिर का नजदीकी हवाई अड्डा जौलीग्रांट (देहरादून) है, जो चोपता (मिनी स्वीटजरलैंड) से करीब 224 किलोमीटर की दूरी पर देहरादून में स्थित है। जॉली ग्रांट एयरपोर्ट से चोपता (मिनी स्वीटजरलैंड) जाने के लिए आपको बस और शेयर टैक्सी की सुविधा उपलब्ध होती है।
ट्रेन से तुंगनाथ मंदिर कैसे जाएं ?
तुंगनाथ मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश, हरिद्वार और काठगोदाम हैै, जो चोपता (मिनी स्वीटरलैंड) से 207 किमी., 235 किमी. और 276 किमी. की दूरी पर स्थित है। इन तीनों रेलवे स्टेशन से चोपता (मिनी स्वीटजरलैंड) जाने के लिए आपको बस और शेयर टैक्सी की सुविधा आसानी से मिल जाएगी।
बस से तुंगनाथ मंदिर कैसे जाएं ?
तुंगनाथ का नजदीकी बस स्टैंड ऋषिकेश और हरिद्वार में है। उत्तराखंड के इन दोनों शहरों में जाने के लिए आपको दिल्ली, हरियाणा, लखनऊ, जयपुर और चंडीगढ़ जैसे बड़े शहरों से बस की सुविधा उपलब्ध होती है और यहां आने के बाद आप बस या शेयर टैक्सी से चोपता (मिनी स्विट्जरलैंड) आसानी से पहुंच सकते हैं।
ऋषिकेश, हरिद्वार और काठगोदाम से चोपता (मिनी स्विट्जरलैंड) जाने का मार्ग –
ऋषिकेश – देवप्रयाग – रुद्रप्रयाग – उखीमठ – चोपता – 207 किलोमीटर.
हरिद्वार – ऋषिकेश – देवप्रयाग – रुद्रप्रयाग – उखीमठ – चोपता (मिनी स्विट्जरलैंड) – 230 किलोमीटर.
कोटद्वार – देवप्रयाग – रुद्रप्रयाग – उखीमठ – चोपता (मिनी स्विट्जरलैंड) – 235 किलोमीटर.
या,
कोटद्वार – देवप्रयाग – रुद्रप्रयाग – कर्णप्रयाग – गोपेश्वर – चोपता (मिनी स्विट्जरलैंड) – 276 किलोमीटर.
तुंगनाथ मंदिर जाते समय क्या-क्या लेकर जाना चाहिए ?
1 . कुछ जरूरी मेडिसिन जैसे- बुखार, खांसी, सर्दी, पेट और सिर दर्द, उल्टी, ईनो, ओआरएस (ORS) वगैरह लेकर जरूर जाएं।
2 . गर्म कपड़े और रेन कोट रखना ना भूलें, क्योंकि वहां पर गर्मी के मौसम में भी ठंड लगती है।
3 . चढ़ाई करने के लिए ट्रेकिंग या स्पोर्ट्स शूज जरूर पहनें और साथ ही चोपत (मिनी स्वीटजरलैंड) से एक स्टिक खरीद लें, ताकि तुंगनाथ मंदिर की चढ़ाई करने में आसानी हो सके।
4 . एक चप्पल भी अपने पास रख सकते हैं, ताकि बारिश पड़ने पर आप जूता की जगह चप्पल पहन सकें।
5 . पावर बैंक और जिओ का सिम ही लेकर जाएं, क्योंकि वहां पर जिओ के अलावा किसी भी अन्य सिम का नेटवर्क नहीं रहता है।
6 . कुछ चॉकलेट और बिस्कुट वगैरह जरूर रखें, ताकि चढ़ाई करने पर पानी पीते समय इसे खा सकें।
7 . टॉर्च और लाइटर रखना बिलकुल भी ना भूलें, क्योंकि इसकी जरूरत आपको कहीं भी कभी भी पड़ सकती है।
तुंगनाथ मंदिर जाते समय ध्यान रखें इन बातों को –
1 . चढ़ाई करने के लिए मेंटली और फिजिकली फिट होना बेहद जरूरी है।
2 . तुंगनाथ मंदिर की चढ़ाई सूर्योदय से पहले ही शुरू कर दें, क्योंकि तुंगनाथ मंदिर के आसपास रात को ठहरने की व्यवस्था नहीं है इसलिए आपको एक दिन में ही 7 किमी. ट्रेक करना पड़ेगा। आप चाहें तो तुंगनाथ मंदिर से चंद्रशिला ट्रेक पर भी जा सकते हैं, जो तुंगनाथ मंदिर से करीब 1-1.5 किमी. की दूरी पर स्थित है और चंद्रशिला ट्रेक पर भी रात को ठहरने की सुविधा उपलब्ध नहीं है, इसलिए आपको एक दिन में ही 9-10 किमी. का ट्रेक कंप्लीट करना होगा।
3 . तुंगनाथ मंदिर की चढ़ाई धीरे धीरे पूरा करें, ताकि आप आसानी से चढ़ाई को पूरा कर सकें।
4 . ट्रेक करते समय पानी ज्यादा पीना चाहिए, क्योंकि पानी ज्यादा पीने से ट्रेक करने में आसानी होती है और जल्दी-जल्दी थकान भी महसूस नहीं होती है।
मुझे उम्मीद है कि मेरे द्वारा “तुंगनाथ मंदिर चोपता उत्तराखंड” के बारे में दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। अगर इस पोस्ट से संबंधित आपका कोई सवाल हो, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं और अगर इस पोस्ट में आपको कुछ गलत लगे, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं, ताकि अपडेट करते वक्त हम उस गलती को सुधार सकें।
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