सावित्री माता मंदिर पुष्कर | Savitri Mata Temple Pushkar Rajasthan In Hindi.

सावित्री माता मंदिर पुष्कर शहर की एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है, जो राजस्थान के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। सावित्री माता मंदिर पुष्कर शहर के लोगों का आस्था का प्रमुख केंद्र है। इस मंदिर में साल में लाखों श्रद्धालु और पर्यटक सावित्री माता का दर्शन करने और आशीर्वाद लेने आते हैं। तो आइए जानते हैं पुष्कर में स्थित सावित्री माता मंदिर के बारे में –

सावित्री माता मंदिर कहां स्थित है ?

सावित्री माता मंदिर पुष्कर, जिसे राजस्थान के सबसे पवित्र नगर माना जाता है, के एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है।

सावित्री माता मंदिर का इतिहास – History of Savitri Mata Temple Pushkar Rajasthan In Hindi.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि एक बार व्रजनाश नामक राक्षस पृथ्वी पर लोगों के ऊपर काफी अत्याचार कर रहा है, जिसे सहन करना काफी मुश्किल हो गया था। क्रोधित ब्रह्मा ने अपने गुस्से को काबू नहीं कर पाते हैं और व्रजनाश राक्षस का वध कर देते हैं। आपको तो पता ही होगा कि ब्रह्मा जी के हाथ में कमल के पुष्प होते हैं। व्रजनाश राक्षस के वध करने के दौरान उनके हाथ से कलम के पुष्प से पुष्कर के तीन अलग-अलग स्थानों पर गिर गए। पुष्कर के जिन स्थानों पर कमल के पुष्प गिरे थे, वर्तमान समय में उन्हें ज्येष्ठ, मध्य और कनिष्क के नाम से जाना जाता है।

व्रजनाश का वध करने के बाद सभी देवी-देवताओं ने ब्रह्मा के ऊपर लगे पाप से मुक्ति दिलाने के लिए उनसे पुष्कर में यज्ञ करने की विनती की। ब्रह्मा जी पुष्कर में यज्ञ करने के लिए राजी हो गए और अगले दिन यज्ञ करने की तैयारी होने लगी, जिसमें ब्रह्मा जी की पत्नी सावित्री माता का यज्ञ में ब्रह्मा जी के साथ बैठना अनिवार्य था।

अगले दिन जब सभी देवी-देवता पुष्कर में पहुंच, तो वहां पर सावित्री माता उपस्थित नहीं थी। कुछ समय बाद यज्ञ की सारी तैयारियां पूरी हो गई, फिर भी सावित्री माता यज्ञ में उपस्थित ना हो पाईं। यज्ञ का शुभ मुहूर्त बीत ना जाने की वजह से देवराज इंद्र की सहायता से गुर्जर समुदाय की एक कन्या से ब्रह्मा जी ने शादी कर ली और वे दोनों यज्ञ में बैठ गए और यज्ञ शुभ मुहूर्त में शुरू हो गया।

यज्ञ प्रारंभ होने के कुछ समय बाद ही यज्ञ स्थल पर सावित्री माता आ पहुंची। ब्रह्मा जी के साथ दूसरी पत्नी को देखकर सावित्री माता काफी क्रोधित हो गईं और उन्होंने वजह जाने बिना ही ब्रह्मा जी को श्राप दे दिया कि आज के बाद पूरी दुनिया में आपकी पूजा कहीं नहीं होगी। इसके बाद सभी देवी-देवता चौंक गए और सावित्री माता का गुस्सा शांत होने के बाद उनलोगों ने सावित्री माता से इस श्राप को वापस लेने की मांग की, लेकिन इस श्राप को वापस लेने से माता सावित्री ने इंकार कर दिया।

अंत में माता सावित्री ने ब्रह्मा जी के श्राप की कम करने के लिए उन्होंने दुनिया के सिर्फ पुष्कर शहर में ब्रह्मा जी की पूजा होने की बात कही और वहां से पुष्कर के एक ऊंची पहाड़ी पर जाकर तपस्या करने लगी। पुष्कर के जिस पहाड़ी पर माता सावित्री तपस्या करने आई थी, वर्तमान में पुष्कर शहर के इसी पहाड़ी माता सावित्री का मंदिर है।

सावित्री माता मंदिर के आसपास का दृश्य –

पुष्कर शहर के ऊंची पहाड़ी पर स्थित सावित्री माता मंदिर के परिसर से अरावली पर्वत और पुष्कर शहर का एक बेहतरीन नजारा देखने को मिलता है, जो हमेशा के लिए आपकी यादों में बस जाएगी। पुष्कर शहर में स्थित सरोवर को माता सावित्री मंदिर के परिसर से देखने का तो एक अलग ही बात है।

पुष्कर में स्थित सावित्री माता मंदिर कैसे पहुंचे ? – How to Reach Savitri Mata Temple Pushkar Rajasthan In Hindi.

किशनगढ़ एयरपोर्ट सावित्री माता मंदिर का नजदीकी एयरपोर्ट है, जहां से बस और ट्रेन द्वारा सावित्री माता मंदिर के पहाड़ी के नीचे तक पहुंचा जा सकता है और वहां से पैदल या रोपवे द्वारा सावित्री माता मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।

नजदीकी रेलवे स्टेशन अजमेर है, जहां पर देश के प्रमुख शहरों से ट्रेन द्वारा पहुंचा जा सकता है। अजमेर रेलवे स्टेशन से पुष्कर शहर जाने के लिए ट्रेन, बस और टैक्सी तीनों साधन उपलब्ध हैं जाती है।

नजदीकी बस स्टैंड पुष्कर में ही है, जहां जाने के बाद आप मंदिर तक आसानी से पहुंच सकते हैं।

सावित्री माता मंदिर जाने के लिए रोपवे का किराया –

पुष्कर मंदिर जाने के लिए रोपवे का किराया दोनों तरफ का ₹ 139 और एक तरफ का ₹ 94 होता है। रोपवे से सावित्री माता मंदिर जाने में करीब 6-8 मिनट का समय लगता है। सावित्री माता मंदिर जाते समय रोपवे एक बार बीच में 1 मिनट के अंदर रुकता भी है, जिससे कुछ यात्री डरने भी लगते हैं। लेकिन अगर आपने इस पोस्ट को पूरा पढ़ा है, तो आपको मालूम चल गया है कि यह रोपवे बीच में रुकता है, इसलिए आपको डरने की कोई बात नहीं है।

आप रोपवे की सुविधा ना लेकर पैदल भी सावित्री माता मंदिर की चढ़ाई को करीब 1 घंटे में पूरा कर सकते हैं। सावित्री माता मंदिर की चढ़ाई करने के लिए सीढ़ियां बनाई गई है।

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धन्यवाद !

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