सच्चियाय माता मंदिर | ओसियां माता मंदिर जोधपुर | Sachchiyay Mata Temple Osiyan Jodhpur In Hindi.

राजस्थान के जोधपुर जिले में स्थित सच्चियाय माता मंदिर, जिन्हें ओसियां माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, विश्व प्रसिद्ध हिंदू धर्म की एक मंदिर है, लेकिन इन्हें 1444 गोत्रों की कुल देवी के रूप में जाना जाता है, जिनमें जैन धर्म के लोगों की अधिकता है। आज मैं आपको ओसियां गांव में स्थित सच्चियाय माता मंदिर से जुड़े सभी चीजों के बारे में बताने वाला हूं, ताकि इस मंदिर से संबंधित आपका कोई प्रश्न ना उठ सके। तो आइए जानते हैं सच्चियाय माता मंदिर के बारे में –

विषय - सूची

सच्चियाय माता मंदिर (ओसियां माता मंदिर) कहां स्थित है ?

सच्चियाय माता का यह मंदिर मंदिर राजस्थान के जोधपुर जिले में है, जिसकी दूरी जोधपुर शहर से करीब 69 किमी. है।

सच्चियाय माता मंदिर (ओसियां माता मंदिर) का निर्माण किसने करवाया था ?

सच्चियाय माता के इस मंदिर को करीब 3000 वर्ष पुराना माना जाता है, जिसका निर्माण वंशराज प्रतिहार ने करवाया था। सच्चियाय माता मंदिर को लाल पत्थरों से निर्मित किया गया है। आज से करीब 3000 वर्ष पहले ओसियां गांव का नाम उकेशपुर पाटन नगरी था, जहां की जनसंख्या करीब ढाई से तीन लाख हुआ करती थी।

श्री सच्चियाय माता मंदिर का इतिहास | ओसियां माता मंदिर का इतिहास | History Of Osiyan Mata Temple Shri Sachchiyay Mata Jodhpur In Hindi.

पौराणिक कथाओं के अनुसार मंदिर के पुजारी जी का कहना है कि वर्तमान समय में ओसियां गांव में करीब 15 से 20000 लोग निवास करते हैं, लेकिन ढाई से तीन हजार वर्ष पहले इस गांव में की आबादी तीन लाख थी और उस समय गांव को पाटन नगरी के नाम से जाना जाता था, जिसमें राजपूत, ब्राह्मण, विश्नोई और जाट के साथ-साथ कुछ अन्य जातियों के लोग भी शामिल थे।

बात उस समय की है जब इस गांव में रतनपुर मंसूरी जी महाराज अपने 500 शिष्यों के साथ आए थे, जो जैन धर्म को मानने वाले थे और विष्णु धर्म की देवी के उपासक थे। जब मंसूरी जी महाराज यहां आए तो उन्होंने देखा कि इस गांव के कुछ लोगों को छोड़कर बाकी सभी लोग मांसाहारी थे, जो मांस के साथ-साथ शराब का सेवन भी करते थे। इस गांव के लोगों के खानपान और उनकी संख्या को देखकर महाराज ने गांव वालों का उद्धार करने का सोचा।

महाराज जी ने सच्चियाय देवी से प्रार्थना की और कहा कि मैं इस गांव के लोगों को जैन धर्म में परिवर्तित करना चाहता हूं, ताकि यह लोग मांस भक्षण करना और शराब का सेवन करना छोड़ दें। मेरा उद्देश्य यह नहीं है है कि ये लोग विष्णु धर्म के देवी-देवता की पूजा-पाठ ना करें, बल्कि मेरा सिर्फ यही उद्देश्य है कि ये लोग मांस और शराब का सेवन करना छोड़ दें और आपको जानवरों की बलि देने की जगह मीठा प्रसाद जैसे फल और मिठाई वगैरह चढ़ा सके। महाराज जी के इस बात से देवी खुश हो गई और उन्होंने महाराज जी को ये सब करने की अनुमति दे दी।

तब महाराज जी ने अपने 2 शिष्यों के अलावा बाकी सभी शिष्यों को आगे की तरफ प्रस्थान करने को कहा। उस समय में इस क्षेत्र का राजा उत्पल पंवार था, जिसका सिर्फ एक ही पुत्र था। महाराज जी को एक उपाय सूझा और उन्होंने कपास (रुई) का एक सांप बनाया और उस सांप को अपने मंत्रों से जीवित करके आदेश देते हुए कहा कि तुम राजा के लड़के को जाकर डंस लो, लेकिन उसके शरीर में सिर्फ उतना ही विश छोड़ना, ताकि उसकी मृत्यु ना हो सके, वह सिर्फ मूर्छित हो सके।

महाराज जी के आदेशानुसार सांप ने राजा के इकलौते पुत्र को डंस लिया। सांप के डसने के बाद राजा का पुत्र मूर्छित हो गया, लेकिन राजा और गांव वालों ने सोचा कि राजा के पुत्र की मृत्यु हो चुकी है। राजा को भी थोड़ा बहुत दुख हुआ कि उसका सिर्फ एक ही पुत्र था और उसकी भी मृत्यु हो गई, अब उसके राज्य का कारोबार कौन संभालेगा। फिर भी राजा ने भगवान की मर्जी समझकर अपने पुत्र को जलाने की तैयारी करने लगा और कुछ समय बाद अर्थी के साथ-साथ गांव की सभी प्रजा समसान घाट की ओर बढ़ने लगी।

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अर्थी को समसान घाट की ओर ले जाते देख महाराज जी की दोनों शिष्यों ने रास्ते में अर्थी को रोककर राजा से कहा कि यहां बगल में ही हमारे एक महाराज जी हैं। आप इस अर्थी को उनके पास ले चलें, हो सकता है कि कुछ चमत्कार हो जाए। राजा ने उन दोनों की बात मानकर अर्थी को तुरंत महाराज जी के पास लेकर पहुंचे। महाराज जी ने राजा से उसके पुत्र की मृत्यु का कारण पूछा, तो राजा ने सारी बातें बता दी। महाराज जी ने कहा कि अगर सच्चियाय माता का आशीर्वाद रहा, तो आपका पुत्र ठीक हो सकता है।

मंसूरी जी महाराज ने कहा कि अगर आपका पुत्र ठीक हो गया, तो आप मुझे क्या दोगे। राजा ने कहा कि मैं अपनी राज्य की आधी संपत्ति आपको दे दूंगा, लेकिन महाराज जी ने राजा के इस बात को मना करते हुए कहा की मैं अपने पिता की इससे भी ज्यादा संपत्ति को छोड़ कर आया हूं, इसलिए मुझे आपकी संपत्ति नहीं चाहिए।

राजा ने कहा आप ही बताएं कि आपको मैं आपको क्या दे सकता हूं। तब मंसूरी जी महाराज ने कहा की जितनी भी आपकी प्रजा है, आप सभी लोग जैन धर्म को स्वीकार कर लो। इसके लिए तुम्हें सिर्फ मांस और शराब का सेवन करना छोड़ना होगा, बाकी तुम अपने विष्णु धर्म के सभी देवी-देवता जैसे भगवान शिव, विष्णु, ब्रह्मा और हनुमान आदि की पूजा-अर्चना कर सकते हो। राजा ने मंसूरी जी महाराज के इस बात को स्वीकार कर लिया।

कुछ ही देर में राजा का पुत्र जीवित हो गया, तो राजा ने वहीं पर अपने सभी प्रजा से कहा कि आज से मेरे इस राज्य में कोई भी व्यक्ति मांस और शराब का सेवन नहीं करेगा और अगर कोई व्यक्ति ऐसा करता है, तो उसे मृत्युदंड दिया जाएगा। उस समय राजतंत्र होने की वजह से सभी लोगों ने राजा की बात स्वीकार कर लिया।

कुछ ही दिनों के बाद राजा की रानी या मंत्री की रानी के ऊपर सच्चियाय माता ने आकर कहा कि तुम सभी लोग जैन धर्म के बन गए हो, इसलिए तुम्हारी पूजन के लिए एक मूर्ति होनी चाहिए और उन्होंने राज्य के किसी एक जगह की चर्चा करते हुए बताया की उस स्थान पर जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी की मूर्ति बन गई रही है, तुम लोग उस मूर्ति को 7 दिन के अंदर निकाल लेना।

गांव के लोग इस बात को भूल चुके थे, तभी एक रात में राजा को सपना आया और राजा ने उस सपने में माता द्वारा बताई गई जगह पर जमीन के अंदर मूर्ति के बारे में देखा। उसी सुबह राजा ने स्वप्न में आए मूर्ति को निकलवा दिया। मूर्ति निकालने के बाद उस मूर्ति के सीने के ऊपर एक बड़ा-सा गांठ देखने को मिला। राजा और गांव के सभी लोगों की सहमति से उस मूर्ति के सीने के ऊपर उस गांठ को हटाकर एक दिव्य मूर्ति की तरह सोने की परत चढ़ाने का निर्णय लिया। अगले दिन एक कारीगर को बुलाकर उस दिव्य मूर्ति के सीने के ऊपर वाले गांठ को हटाया गया। गांठ को हटाते ही वहां से दूध की धारा रिसने लगी, क्योंकि वह सच्चियां माता के ईस्ट द्वारा बनी एक दिव्य मूर्ति थी।

गांव वालों के द्वारा मूर्ति पर अस्त्र चलाने की वजह से सच्छियाय माता क्रोधित हो गईं और उन्होंने गांव वालों से कहा कि तुम लोगों ने मेरे द्वारा बनाए गए इस दिव्य मूर्ति पर अस्त्र चलाया है, क्या पता कल तुम मेरे ऊपर भी अस्त्र चला दो, इसलिए तुम सभी लोग यह गांव छोड़कर कहीं और चले जाओ वरना तुम्हारे ऊपर बहुत बड़ा संकट आ सकता है। माता के द्वारा सभी गांव वाले गांव छोड़कर ईधर-उधर चले गए।

गांव वालों को गांव छोड़ने के समय माता ने श्राप दिया कि अगर कोई जैन धर्म का व्यक्ति स्थाई रूप से निवास करने या व्यापार करने के सिलसिले में इस गांव में रहेगा, तो वह कभी भी सुखी नहीं रह पाएगा और साथ ही माता ने यह वरदान भी दिया था कि अगर तुम किसी और जगह पर निवास करते हो और मेरी उपासना करते हुए अपना जीवन व्यतीत करते हो, तो तुम्हारे जैसा कोई व्यक्ति जल्दी अमीर भी नहीं होगा यानी की तुम्हारी कमाई बहुत ही ज्यादा होगी।

आज के समय में भी यहां पर जैन धर्म के लोगों का एक भी घर नहीं है, क्योंकि उनको सच्चियाय माता के द्वारा श्राप मिल चुका है, लेकिन जैन धर्म के लोग शादी के समय और अपने बच्चों के मुंडन करवाने आज भी इस मंदिर में आते हैं, लेकिन सच्चियाय माता के श्राप की वजह से यहां पर एक रात के लिए भी नहीं रुकते हैं। वर्तमान में जो मंदिर की व्यवस्था है, उसमें 99% जैन धर्म के लोग योगदान देते हैं, क्योंकि जब भी वे लोग कोई नया बिजनेस की शुरुआत करते हैं, तो सच्चियाय माता के आशीर्वाद की वजह से उनका बिजनेस बहुत अच्छा चलने लगता है, जिसकी वजह से जैन धर्म के लोग अपनी कमाई का 1-20 % का दान माता के श्री सच्चियाय मंदिर में दे देते हैं।

प्राचीन काल में ओसियां गांव में मंदिरों की संख्या –

आज से करीब ढाई से तीन हजार वर्ष पहले ओसियां गांव में कुल 108 मंदिर थे और उस समय इस गांव की जनसंख्या लगभग तीन लाख थी। लेकिन सच्चियाय माता द्वारा गांव वालों को श्राप दिए जाने के बाद इस गांव के सभी लोग पलायन कर गए और पूरा ओसियां गांव खाली पड़ गया, जिसकी वजह से मंदिरों की देख-रेख नहीं हो सकी, इसलिए वर्तमान समय में ओसियां गांव में मंदिरों की संख्या बहुत ही कम बची हुई है। आज भी ओसियां गांव में स्थापित अधिक मूर्तियों को खंडित रूप में देखने को मिलती है।

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सच्चियाय माता (ओसियां माता) किसकी धर्म की देवी हैं ?

सच्चियाय माता हिंदू धर्म की देवी हैं, लेकिन इन्हें जैन धर्म की कुल देवी माना जाता है। सच्चियाय माता को जैन धर्म के साथ-साथ 1444 गोत्रों की कुल देवी माना जाता है।

नहीं कर सकतीं महिलाएं सच्चियाय माता (ओसियां माता) के दर्शन

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महिलाओं को सच्चियाय माता के दर्शन करने की अनुमति नहीं दी जाती है, लेकिन अगर कोई शादी का सच्चियाय माता मंदिर में आता है, तो उस जोड़े को चुनरी चढ़ाने का सौभाग्य प्राप्त होता है। यही कारण है कि सच्चियाय माता मंदिर में शादी होने के बाद सच्चियाय माता का आशीर्वाद लेने के लिए दूर-दूर से शादी-शुदा लोग आते हैं।

घर नहीं ले जा सकते हैं सच्चियाय माता को चढ़ाया गया प्रसाद –

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सच्चियाय माता को चढ़ाए गए प्रसाद को आप अपने साथ घर पर नहीं लेकर जा सकते हैं। दोस्तों इसका कारण मुझे तो क्या मंदिर के पुजारी को भी पता नहीं है, क्योंकि ऐसी प्रथा वर्षों से चली आ रही है, इसलिए आज भी इस प्रथा को माना जाता है।

सच्चियाय माता मंदिर (ओसियां माता मंदिर) में खाने-पीने की व्यवस्था –

इस मंदिर के तरफ से भोजन की बहुत अच्छी व्यवस्था की गई है, जहां पर आप ₹ 60-70 में खाना खा सकते हैं। इस मंदिर में खाना खाने के लिए सबसे पहले आपको एक रसीद कटवाना पड़ेगा और उसके बाद आपको करीब एक घंटा इंतजार करना पड़ सकता है।

सच्चियाय माता मंदिर (ओसियां माता मंदिर) के आसपास रहने की सुविधा –

सच्चियाय माता मंदिर के तरफ से रात को ठहरने की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है, जहां पर 200 कमरे उपलब्ध हैं। यहां पर करीब 2000 लोगों के खाने की सुविधा उपलब्ध है।

सच्चियाय माता मंदिर (ओसियां माता मंदिर) कैसे पहुंचे ? – How to Reach Sachchiyay Mata Temple Osiyan Jodhpur In Hindi.

चूंकि आपको मालूम ही है कि ओसियां गांव में स्थित यह मंदिर राजस्थान के जोधपुर जिले में स्थित है, इसलिए इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले जोधपुर आना होगा, जैसा कि आप नीचे देख सकते हैं।

हवाई जहाज से सच्चियाय माता मंदिर (ओसियां माता मंदिर) कैसे पहुंचे ? – How to Reach Sachchiyay Mata Temple Osiyan Jodhpur by Flight In Hindi.

नजदीकी एयरपोर्ट जोधपुर में है, जहां से इस मंदिर की दूरी करीब 64 किमी. है। जोधपुर एयरपोर्ट से ट्रेन और बस द्वारा माता के इस मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।

ट्रेन से सच्चियाय माता मंदिर (ओसियां माता मंदिर) कैसे पहुंचे ? – How to Reach Sachchiyay Mata Temple Osiyan Jodhpur by Train In Hindi.

सच्चियाय माता मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन जोधपुर है, जहां से सच्चियाय माता के मंदिर की दूरी करीब 61 किमी. है और इस दूरी को आप आप जोधपुर से बस या ट्रेन द्वारा तय कर सकते हैं।

बस से सच्चियाय माता मंदिर (ओसियां माता मंदिर) कैसे पहुंचे ? – How to Reach Sachchiyay Mata Temple Osiyan Jodhpur by Bus In Hindi.

देश के प्रमुख शहरों से जोधपुर के लिए सीधा बस सेवा उपलब्ध है। बस से जोधपुर आने के बाद दूसरी बस या ट्रेन द्वारा सच्चियाय माता के मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। जोधपुर बस स्टैंड से सच्चियाय माता के इस मंदिर की दूरी करीब 59 किमी. है।

सच्चियाय माता मंदिर (ओसियां माता मंदिर) से जुड़े प्रश्नों को आप हमें कमेंट बॉक्स के जरिए पूछना ना भूलें।

धन्यवाद !

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3 COMMENTS

  1. Suna hai ki, Mata ki ashtami ki Puja Ghar ke sadasya ke alawa koi dekh nahi sakta hai, kya ye sahi hai ?

  2. Hamari (Kulthiya gotra ki)kuldevi sachhiyayi mata hai, Hamare Ghar me ashtami ke din mataji ko sirf dhoop hi lagate hai, mataji ki jyot nahi jalate hai, kya ye sahi hai ki mataji ki jyot nahi jalani chahiye ?

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