मद्महेश्वर मंदिर पंच केदार के द्वितीय केदार के रूप में प्रसिद्ध है, जो भगवान शिव को समर्पित लगभग 5000 वर्षों से भी पुराना मंदिर है। इस मंदिर में भगवान शिव के नाभी की पूजा होती है और सम्पूर्ण शरीर की पूजा निकटतम देश नेपाल की राजधानी काठमांडू के पशुपति नाथ मंदिर में होती है। भगवान शिव का यह मंदिर समुद्र तल से करीब 3289 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जहां से चौखम्भा और हिमालय पर्वत के बेहतरीन नजारे देखे जा सकते हैं।
मद्महेश्वर मंदिर कहां स्थित है ?
यह मंदिर उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित भगवान शिव को समर्पित एक बेहद प्राचीन मंदिर है, जिसका इतिहास पांडवों के समय का है।
बूढ़ा मद्महेश्वर मंदिर कहां स्थित है ?
यह मंदिर मद्महेश्वर मंदिर से करीब 1.5-2 किमी. की दूरी पर स्थित एक छोटा-सा मंदिर है, जहां से चौखम्भा और हिमालय पर्वत के खूबसूरत नजारे देखे जा सकते हैं। यहां पर एक बड़े घास के मैदान (बुग्याल) के साथ-साथ बरसात के के दिनों में 2-3 झील भी देखने को मिल जाएंगे, जो बूढ़े मद्महेश्वर मंदिर की ओर आने के लिए श्रद्धालुओं, पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
मद्महेश्वर मंदिर कैसे पहुंचे ?
इस मंदिर पहुंचने के लिए आप फ्लाइट, ट्रेन, बस, टैक्सी, कार या बाइक की सुविधा ले सकते हैं, लेकिन मद्महेश्वर मंदिर जाने के लिए सबसे पहले आपको ऋषिकेश पहुंचना होगा, जहां से आगे की यात्रा बस से तय करनी पड़ती है। तो चलिए जानते हैं कि ऋषिकेश पहुंचने के लिए आप फ्लाइट, ट्रेन और बस से उत्तराखंड में कहां तक आ सकते हैं।
हवाई जहाज से ऋषिकेश कैसे पहुंचे ?
निकटतम हवाई अड्डा जौली ग्रांट है, जो ऋषिकेश से 17 किमी. की दूरी पर स्थित है। एयरपोर्ट से ऋषिकेश जाने के लिए बस और टैक्सी की सुविधा उपलब्ध होती है।
ट्रेन से ऋषिकेश कैसे पहुंचे ?
निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश और हरिद्वार में है। अगर आप चाहें तो ट्रेन से ऋषिकेश भी आ सकते हैं, लेकिन अगर आप ट्रेन से मद्महेश्वर मंदिर जाना चाहते हैं, तो मेरे ख्याल से आपको हरिद्वार आना चाहिए, क्योंकि हरिद्वार एक बड़ा रेलवे स्टेशन है, जिसका रेल मार्ग दिल्ली जैसे बड़े शहरों से भी जुड़ा हुआ है। हरिद्वार रेलवे स्टेशन से ऋषिकेश की दूरी लगभग 25 किमी. है। यहां से आप बस या टैक्सी वगैरह की सुविधा लेकर ऋषिकेश आसानी से पहुंच सकते हैं।
बस से ऋषिकेश कैसे पहुंचे ?
ऋषिकेश जाने के लिए दिल्ली जैसे बड़े शहरों से बस की सुविधा उपलब्ध होती है, जिससे आप आसानी से ऋषिकेश पहुंच सकते हैं।
ऋषिकेश से मद्महेश्वर मंदिर कैसे पहुंचे ?
ऋषिकेश से मद्महेश्वर मंदिर जाने के लिए सबसे पहले आपको उखीमठ जाना पड़ेगा, जहां जाने के लिए ऋषिकेश से बस की सुविधा उपलब्ध होती है। अगर आप चाहें तो ऋषिकेश से उखीमठ जाने के लिए रेंटल जीप वगैरह की सुविधा भी ले सकते हैं।
उखीमठ से मद्महेश्वर मंदिर जाने के लिए आपको शेयर जीप या टैक्सी वगैरह से रांसी गांव जाना पड़ेगा, जहां से मद्महेश्वर मंदिर मंदिर की चढ़ाई शुरू होती है। रांसी गांव से करीब 2 किमी. आगे तक गाड़ी जाने के लिए सड़क की सुविधा उपलब्ध है, जहां तक आप शेयर टैक्सी से पहुंच सकते हैं और वहां से मद्महेश्वर मंदिर की पैदल यात्रा शुरू कर सकते हैं, जो करीब 16 किमी. की थका देने वाली यात्रा होती है।
मद्महेश्वर मंदिर की चढ़ाई करते समय खाने-पीने और रहने की सुविधा कहां-कहां उपलब्ध होती है ?
1 . गौण्डार – यह मद्महेश्वर मंदिर का सबसे पहला रेस्ट पॉइंट है, जिसकी दूरी रांसी गांव, जहां से मद्महेश्वर मंदिर की चढ़ाई शुरू होती है, से करीब 6 किमी. है। यह गंगा नदी के तट पर बसा हुआ एक छोटा-सा गांव है, जहां की प्राकृतिक सुंदरता देखने योग्य है। यहां पर आपको खाने-पीने और रात को ठहरने की सभी सुविधा मिल जाएगी।
2 . बनतोली – गंगा नदी के तट बसा प्राकृतिक वादियों से सुशोभित यह एक छोट-सा गांव है, जो रांसी गांव से करीब 7.5 किमी. और गौण्डार गांव से 1.5 किमी. की दूरी पर स्थित है। यहां पर खाने-पीने और रहने की अच्छी सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। यहां पर गंगा नदी के तट पर भगवान शिव का छोटा-सा मंदिर है, जिसमें जाकर आप दर्शन भी कर सकते हैं।
3 . खड्डरा – यह जगह प्राकृतिक वादियों के बीच में स्थित है, जो रांसी गांव से करीब 9 किमी. और बनतोली गांव से 1.5 किमी. की दूरी पर स्थित है और साथ ही यहां पर वन विभाग की एक चौकी भी है। यहां पर खाने-पीने और रात को ठहरने की बहुत अच्छी सुविधा उपलब्ध कराई जाती है, जहां पर 20 लोगों की ठहरने की व्यवस्था है।
4 . नानू – यहां पर खाने-पीने और रात को ठहरने की बहुत अच्छी सुविधा उपलब्ध कराई जाती है, जो रांसी गांव से करीब 11 किमी. और खड्डरा से करीब 2 किमी. की दूरी पर स्थित है।
5 . मैखम्बा – यह रांसी गांव से करीब 12.5 किमी. और नानू गांव से करीब 1.5 किमी. की दूरी पर स्थित है। यहां पर आपको खाने-पीनेेे और रात को ठहरने की सभी सुविधा मिलेगी या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं है। क्योंकि मैं जब मद्महेश्वर मंदिर गया था, तो उस समय मुझे यहां पर सिर्फ खाने-पीने की सुविधा ही मिल पाई थी, लेकिन हो सकता है कि आप जब मद्महेश्वर मंदिर जाएंगे, तो वहां पर रात को ठहरने की सुविधा भी उपलब्ध करा दी गई हो। फिर भी आपको मद्महेश्वर मंदिर की ट्रेक करते समय इस जगह पर रात में ठहरने की सुविधा न मानकर ही ट्रेक करनी चाहिए।
6 . कूनचट्टी – यह रांसी गांव से करीब 14 किमी. और मैखम्बा से करीब 1.5 किमी. की दूरी पर स्थित है। यहां पर खाने-पीने और रात को ठहरने की सभी सुविधा उपलब्ध होती है।
7 . मद्महेश्वर – यह मद्महेश्वर मंदिर का सबसे अंतिम रेस्ट पॉइंट है, जो रांसी गांव से करीब 16.5 किमी. और कूनचट्टी से करीब 2.5 किमी. की दूरी पर स्थित है। यहां पर खाने-पीने और रात को ठहरने की बहुत अच्छी सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।
अगर आप चाहें तो नीचे दिए गए सारणी को स्क्रीन शॉट ले सकते हैं, ताकि मद्महेश्वर मंदिर की चढ़ाई करते समय आपको पता चल सके कि खाने-पीने और रहने की सुविधा कहां-कहां उपलब्ध कराई जाती है।
क्रम सं. | खाने-पीने और रहने की सुविधा – | रांसी गांव से दूरी – |
---|---|---|
1. | गौण्डार | 6 किमी. |
2. | बनतोली | 7.5 किमी. |
3. | खड्डरा | 9 किमी. |
4. | नानू | 11 किमी. |
5. | मैखम्बा | 12.5 किमी. |
6. | कूनचट्टी | 14 किमी. |
7. | मद्महेश्वर | 16.5 किमी. |
मुझे उम्मीद है कि मेरे द्वारा दी गई यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। अगर इस पोस्ट से संबंधित आपका कोई सवाल हो, तो अपने कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं और अगर आपको उत्तराखंड के किसी अन्य पर्यटन स्थल के बारे में जानकारी चाहिए हो, तो आप हमें कमेंट जरूर करें।
धन्यवाद !
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