अमरनाथ गुफा के दोनों कबूतरों का रहस्य |

नमस्कार दोस्तों, आज मैं आपको “अमरनाथ गुफा के दोनों कबूतरों का रहस्य” के बारे में पूरी जानकारी देने वाला हूं। अगर आपकी किस्मत अच्छी रही, तो आप अमरनाथ गुफा में जाने के बाद इन दोनों कबूतरों को देख सकते हैं। कहा जाता है कि अमरनाथ गुफा में इन दोनों कबूतरों के जोड़े को देखने के बाद भगवान शिव से मांगी हुई सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। आइए अब जानते हैं अमरनाथ गुफा के दोनों कबूतरों का रहस्य-

अमरनाथ गुफा में उपस्थित दोनों कबूतरों की कहानी –

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से उनके गले में मूंड यानी सिर का माला पहनने का कारण पूछा, तो भगवान शिव ने पहले तो माता पार्वती की बात को अनसुना कर उसे टाल देते थे, लेकिन एक बार माता पार्वती उस बात को जानने के लिए अपने जिद पर अड़ गई, तो भगवान शिव ने माता पार्वती से कहा कि जब भी पार्वती जन्म लेती हैं, तो मैं एक और मूंड (सिर) इस माले में जोड़ लेता हूं।

फिर माता पार्वती जी ने भगवान शिव से पूछा कि मुझे हर बार एक नए रूप में आना पड़ता है और वर्षों तपस्या करने के बाद आप मुझे मिलते हैं, मेरा इतना कठिन परीक्षा क्यों? मुझे भी अमर होने का रहस्य बताइए।

भोलेनाथ माता पार्वती को समझाते हुए कहा कि मैं अमरकथा की वजह से अमर हूं, जिसे त्रिदेव अर्थात ब्रह्मा, विष्णु और महेश के लिए अलावा कोई भी दूसरा देवी-देवता नहीं जानते हैं और उस अमरकथा को जो भी व्यक्ति सुन लेता है, वह भी हमारी तरह अमर हो जाता है। फिर क्या था माता पार्वती उस अमरकथा को सुनने के लिए जिद करने लगीं। कुछ देर बाद भगवान शिव उस अमरकथा को माता पार्वती को सुनाने के लिए राजी हो गए।

माता पार्वती को वह कथा सुनाने के लिए भगवान शिव किसी गुप्त जगह की खोज करने लगे, जहां पर भगवान शिव और माता पार्वती के अलावा दूसरा कोई भी दूसरा ना हो और अंत में उन्होंने माता पार्वती को वह कथा सुनाने के लिए अमरनाथ की गुफा को चुना।

उस रहस्यमयी कथा को सुनाने के लिए भगवान शिव माता पार्वती के अलावा किसी भी अन्य व्यक्ति या जीव-जंतुओं को सुनाना नहीं चाहते थे, इसलिए उन्होंने अपने सवारी नंदी महाराज को पहलगांव में, अपने पुत्र गणेश को महागुणास पर्वत पर, अपने गले के सांप को शेषनाग झील पर, जटाओं के चंद्रमा को चंदन वाणी में और पांचों तत्त्वों को पंचतरणी पर अपने से अलग कर दिया। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती अमरनाथ गुफा की ओर बढ़े।

अमरनाथ गुफा में प्रवेश करने के बाद भगवान शिव ने समाधि ली और माता पार्वती को अमरता का कथा सुनाने लगे। भगवान शिव और माता पार्वती के गुफा में प्रवेश करने से पहले से ही उस गुफा में दो कबूतर मौजूद थे, जिन्हें देखे बिना ही भगवान शिव अमरकथा शुरू कर दिए।

जब भगवान शिव माता पार्वती को कथा सुना रहे थे, तो कथा सुनते-सुनते माता पार्वती को नींद आ गई, लेकिन भगवान शिव माता पार्वती को बिना देखे कथा सुनाए जा रहे थे। कबूतरों के मंद-मंद आवाज से भगवान शिव को लगा कि माता पार्वती कथा सुन रही हैं और उन्हीं दोनों कबूतरों के मंद-मंद आवाज से भगवान शिव ने पूरी अमरकथा कह डाली।

कथा खत्म होने के बाद भगवान शिव माता पार्वती को सोते देख बहुत दुःखी हुए और तभी उनकी नजर गुफा में उपस्थित दो कबूतरों पर पड़ी, जिन्होंने पूरी अमरकथा सुन ली थी। इन दोनों कबूतरों को देख भगवान शिव बहुत गुस्सा हो गए और दोनों कबूतरों को मारने के लिए आगे बढ़े, तभी दोनों कबूतर उनकी शरण में आ गए और उनसे कहने लगे कि अगर आप हम दोनों को मार देंगे, तो अमरकथा का कोई अस्तित्व ही नहीं रह पाएगा यानी अमरकथा झूठी साबित हो जाएगी।

दोनों कबूतरों की बात सुनने के बाद भगवान शिव उन दोनों कबूतरों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि आप दोनों इस गुफा में हमेशा शिव-पार्वती के निशानी के रूप में निवास करोगे और इस तरह से यह गुफा अमरनाथ के नाम से प्रसिद्ध हो गया।

मैं आशा करता हूं कि “अमरनाथ गुफा के दोनों कबूतरों का रहस्य” के बारे में दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। अगर इस पोस्ट से संबंधित आपका कोई सवाल हो, तो आप हमें कमेंट जरूर करें। मैं आपको जवाब देने का प्रयास जरूर करूंगा।

धन्यवाद।

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