नमस्कार साथियों आज के इस पोस्ट में हम मणिमहेश की यात्रा के बारे में जानने वाले है। पर उससे पहले मैं आपको मणिमहेश के बारे में कुछ जानकारी दे देना चाहता हूं।
मणिमहेश झील हिमालय के पीर पंजाल श्रेणी भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य के चंबा जिले में स्थित है। मणिमहेश झील हिमाचल प्रदेश के प्रमुख तीर्थ स्थानों में से एक है। यह बुध्दिल घाटी में भरमौर से 21 किलोमीटर की दूरी पर है। यह झील कैलाश पीक के नीचे स्थित हैं। समुद्र तल से 4080 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस झील को शिव के आभूषण के नाम से भी जाना जाता है। यह झील अपने आप में मानसरोवर झील के तुल्य महत्व रखती हैं।
मणिमहेश की यात्रा के बारे में – About Manimahesh’s Journey in Hindi
मणिमहेश की यात्रा पर कब जाना चाहिए ? – Best Time To Visit Manimahesh in Hindi
यह झील समुद्र तल से अधिक ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यहां पर साल के अधिकतर समय बर्फबारी एवं हिमस्खलन होता रहता है, जिसकी वजह से यहां की यात्रा बंद रहती है। अगर आप यहां की यात्रा करना चाहते हैं, तो आप अप्रैल महीने से लेकर मध्य नवंबर तक कर सकते हैं। लेकिन आपको बता दूं कि यहां पर हर साल भाद्रपद के महीने में कृष्ण अष्टमी के दिन एक मेला का आयोजन किया जाता है। जहां लाखों की संख्या में तीर्थयात्री यहां के पवित्र झील के जल में डुबकी लगा कर भगवान शिव की पूजा करने हेतु एकत्र होते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा माना जाता है, कि इसी दिन भगवान शिव अपना कार्यभार संभालने के लिए मणिमहेश आते हैं।
कृष्णाष्टमी के समय मणिमहेश के पास मेला का आयोजन क्यों किया जाता है ?
पौराणिक कथाओं के अनुसार यहा ब्रह्मांड के तीनों देवता ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश का निवास स्थान है। ब्रह्मा का स्वर्ग भरमौर का टीला, विष्णु का स्वर्ग ढ़ेचू झरना एवं भगवान शिव का स्वर्ग यह मणिमहेश झील है। जहां पर भगवान शिव 6 महीने तक निवास करते हैं एवं बाकी का समय इस स्थान का देख-रेख का जिम्मा विष्णु भगवान को सौंप देते हैं। आपको बता दें कि इनके कार्यभार के आदान-प्रदान का दिन भाद्रपद के कृष्णष्टमी के दिन ही पड़ता है। यही वजह है, कि इसी दिन यहां पर मेले का आयोजन किया जाता है। एवं यहां पर अधिक मात्रा में श्रद्धालु आते हैं।
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मणिमहेश की यात्रा की कहानी – Story Of Manimahesh’s Journey in Hindi
आपको मालूम होगा कि ऊँची-ऊंची चोटियों जैसे माउंट एवरेस्ट और इसी तरह के कई सारी ऊंची चोटियों पर चढ़कर बहुत सारे लोगों ने विजय प्राप्त की है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि कैलाश पर्वत पर आज तक कोई भी नहीं चढ़ पाया है। ऐसा नहीं है कि इस कैलाश पर्वत पर किसी ने चढ़ने का प्रयास नहीं किया है। इस कैलाश पर्वत पर चढ़ने की कहानियां कुछ इस प्रकार प्रचलित हैं।
1.) बहुत समय पहले एक बार एक गरेडी़ अपने भेड़ों के झुंडो के साथ इस पहाड़ पर चढ़ने की कोशिश कर रहा था। तभी वह आदमी अपने भेड़ों के झुंडो के साथ पत्थर का रूप ले लिया। कहा जाता है, कि प्रमुख चोटी के नीचे छोटी चोटियों की श्रृंखला वह आदमी एवं उसके भेडों का अवशेष हैं।
2.) दूसरी कहानी में बताया जाता है, कि एक बार एक सांप ने इस चोटी पर चढ़ने का प्रयास किया था लेकिन असफल रहा। और पत्थर बन कर रह गया।
यहां की मान्यता है, कि लोगों द्वारा कैलाश पर्वत की चोटी को तभी देखा जा सकता है, जब भगवान शिव प्रसन्न हो। लोगों का यह भी मानना है,कि जब भी इस क्षेत्र में किसी प्रकार का हलचल जैसे बर्फबारी एवं हिमस्खलन होता है वे सब भगवान शिव जब नाराज होते हैं तभी होता है। यानी कि कह सकते हैं, कि ये सब भगवान शिव के नाराजगी का संकेत होता है।
संगमरमर के भगवान शिव का मणिमहेश झील के किनारे पर छवि बनी हुई है जिसकी पूजा यहां आने वाले श्रद्धालुओं के द्वारा की जाती है। झील में स्नान के बाद पवित्र झील की तीन बार परिक्रमा करने के बाद भगवान शिव की पूजा यहा आए श्रद्धालुओं के द्वारा की जाती है। अगर मौसम अच्छा रहा तभी कैलाश पर्वत की चोटी पर स्थित शिवलिंग के आकार के चट्टान की दर्शन वहां पर गए श्रद्धालुओं को हो पाती है।
मणिमहेश झील की उत्पत्ति –मान्यताओं के अनुसार मणिमहेश झील की उत्पत्ति भगवान शंकर के द्वारा देवी पार्वती से शादी के दौरान किया गया था।
मणिमहेश कैसे जाएं ? – How To Reach Manimahesh in Hindi
यहां जाने के लिए आपके पास तीन माध्यम है। आप अपनी सुविधा के अनुसार इन तीनों माध्य में से किसी एक मार्ग का चुनाव कर सकते हैं –
1.) लाहुल और स्पीति से कुट्टी दर्रे होते हुए.
2.) हसदर-मणिमहेश मार्ग से हड़सर गांव से 13 किलोमीटर की पैदल यात्रा करके
3.) आप इस झील के पास पहाड़ के नीचे से बिना चढ़ाई किये जल्दी एवं आसानी से पहुंचना चाहते हैं, तो आप हेलीकॉप्टर से जा सकते हैं। आपको यहा ऊपर झील के पास जाने के लिए हेलीकॉप्टर की सुविधा आसानी से मिल जाएगी, जो आपको झील से थोड़ी दूर पहले तक छोड़ देगी। हेलीकॉप्टर का किराया लगभग 10 से 15 हजार तक लग सकता है।
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