केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान | Keoladeo Heritage National Park Rajsthan In Hindi.

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को भरतपुर बर्ड सैंक्चरी के नाम से भी जाना जाता है, जी राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित है। इस पार्क को सन् 1985 ई ० में यूनेस्को के विश्व विरासत स्थल घोषित कर दिया गया था। अभी तक यहां पर इस पार्क द्वारा 385 प्रकार के देशी और विदेशी पक्षियों को रिकॉर्ड किया गया है, जो समय-समय पर यहां आती रहती है।

विषय - सूची

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान कहां स्थित है ?

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान से प्रसिद्ध यह पार्क राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित है, जो जयपुर-आगरा सड़क मार्ग के किनारे पर ही स्थित है।

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास –

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के निर्माण से पहले भरतपुर के राजा सूरजमल ने इस जगह को शिकार के परपस से विकसित किया था, जो गंभीर और बाणगंगा नदी के संगम पर बना हुआ था। यह जगह ढलान पर होने की वजह से बाढ़ आने पर यहां पर पानी भर गई जिसकी वजह से इस जगह पर बहुत सारे पक्षी आ गए और इस तरफ से तरह से यह जगह रूप में विकसित हो गया। पानी भरने के बाद यह जगह खासकर बतख के शिकार के लिए विकसित हो गया।

इस जगह पर पक्षियों की अधिक मात्रा में शिकार होने की वजह से इसे 1964 ई० के बाद बंद कर दिया गया था। यानी कि यह जगह 1964 ई ० तक एक शिकारगाह के रूप में विकसित था, जब तक की इसके ऊपर सरकार द्वारा रोक ना लगा दी गई। पक्षियों के शिकार पर रोक लगाने के बाद इसे 1971 में संरक्षित पक्षी अभयारण्य के रूप में घोषित कर दिया गया था और पार्क 1982 ई० में पूरी तरीके से बनकर तैयार हो गया था।

जब यह पार्क बन कर तैयार हुआ था, तो इस पार्क का नाम भरतपुर राष्ट्रीय उद्यान था, जिसका नाम केवलादेव मंदिर के नाम पर के पर केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान रखा गया। इस उद्यान में भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों से आती पक्षियों को देखते हुए इस पार्क को 1985 ई० में यूनेस्को के विश्व विरासत स्थल (World Heritage Site) के रूप में घोषित कर दिया गया, जो की अपने आप में बहुत बड़ी बात है।

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में कितने पक्षी मौजूद हैं ?

इस उद्यान में अबतक कुल 385 पक्षियों के प्रजाति को रिकॉर्ड किया गया है, जिसमें से करीब 200 ऐसे प्रवासी पक्षी हैं जो एसीएसएफ पर गर्म करने एशिया से प्रजनन करने के लिए इस पार्क में आती है लगभग प्रवासी पक्षी ऐसी है जो इंडिया भारत के अन्य हिस्सों से आती है और करीब 85 पक्षियों की प्रजाति इस पार्क में निवास करती हैं।

पक्षियों के अलावा कुछ जानवर जैसे चीतल हिरण, सांभर हिरण, एंटीलॉप के साथ साथ सरीसृप जानवर जैसे छिपकली और सांप वगैरह मौजूद हैं। अजगर (Rock Python) सर्दियों के दिनों में इस पार्क का आकर्षण का केंद्र होता है, क्योंकि सर्दियों में सिर्फ अजगर ही नहीं, बल्कि पूरे जानवर धूप सेंकने आते हैं।

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान कौन कौन से पक्षी मौजूद हैं ?

इस पार्क में (Green pigeon, glossy Ibis, Indian spot billed duck, Gadwal duck, purple heron, Indian collard scops owl, Chinese duck, white stark, Indian lesser pied Kingfisher, grey heron, cormorant Indian pond heron, purple moorhen) पक्षी हमेशा देखने को मिल जाते हैं, जिन्हें इस पार्क में जाने के बाद आप भी देख सकते हैं।

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान खुलने और बंद होने का समय –

यह पार्क मंगलवार के अलावा सप्ताह के बाकी दिनों तक सुबह 8:30 बजे खुलता है और शाम 5:30 बजे बंद हो जाता है इस पार्क में शनिवार और रविवार के दिन अधिक भीड़ देखने को मिलती है, जिसका मुख्य कारण ऑफिस और स्कूल का छुट्टी है।

(इन्हें भी पढ़े : – गिर नेशनल पार्क गुजरात

> सज्जनगढ़ जैविक उद्यान उदयपुर)

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में जाने का सबसे अच्छा समय –

अगर आप इस भारत में जाना चाहते हैं, तो आपको यहां पर सर्दी हो के समय में ही आना चाहिए क्योंकि सर्दियों में साउथ अफ्रीका सहित सहित देश के अन्य हिस्सों में बर्फ पड़ने की वजह से यह मौसम पक्षियों के अनुकूल नहीं होता है, जिसकी वजह से भारत के बर्फीले जगहों सहित विदेशी पक्षी पक्षियों की प्रजाति भी इस पार्क में आना पसंद करते हैं।

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में मौजूद कुछ विशेष पक्षी –

साउथ अफ्रीका का व्हाइट स्टार्क इस पार्क में विशेष रूप से प्रजनन करने के लिए ही आते हैं और जब उनके बच्चे थोड़े बड़े हो जाते हैं, तो ये लोग अपने पूरे फैमिली के साथ वापस साउथ अफ्रीका चले जाते हैं।

कार्मोरेंट चीन और जापान का पक्षी है, जिनका काम मछलियों को शिकार करना है और यह पक्षी भी भारत के इस पार्क में मौजूद होते हैं।

इंडियन पौंड हेरोन, जिसे मैजिक बर्ड के नाम से भी जाना जाता है। इसका कारण यह है कि जब यह पक्षी उड़ता है, तो इसका सारा पंख सफेद हो जाता है।

पर्पल मूरहेन (purple moorhen) जम्मू और कश्मीर का पक्षी है, जो नीले रंग का होता है। जम्मू और कश्मीर में सर्दियों के दिनों में बर्फ पड़ने की वजह से इस पक्षी को यहां पर देखा जा सकता है।इंडियन कोलार्ड स्कॉप्स आउल (Indian collard scops owl) भारत का एक खास पक्षी है, जिसके मनुष्यों और बाकी जानवरों जैसे कान भी होते हैं और इनके प्रजाति को भी इस पार्क में देखा जा सकता है।

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में प्रवेश शुल्क कितना लगता है ?

भारतीय नागरिकों के लिए प्रवेश शुल्क ₹ 25 और विदेशी नागरिकों के लिए ₹ 50 लगता है। अगर आप अपने किसी वाहन से इस पार्क में जाते हैं, तो आपको अपनी गाड़ी पार्क करने का ₹ 50 और अगर आप इस पार्क को कोई कैमरा लेकर जाते हैं, तो उसके लिए आपको ₹ 200 देना पड़ेगा।

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुंचे – How To Reach Keoladeo National Park In Hindi.

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान देश के प्रमुख शहरों से सड़क, वायु और रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है, जहां पर आप अपने सुविधानुसार पहुंच सकते हैं।

हवाई जहाज से केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुंचे ?

पार्क का नजदीकी हवाई अड्डा आगरा में है, जो इस पार्क से करीब 54 किमी. की दूरी पर स्थित है। आगरा एयरपोर्ट से केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के लिए बस और टैक्सी की सुविधा उपलब्ध होती है, जिससे इस पार्क में आसानी से पहुंचा जा सकता है।

ट्रेन से केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुंचे ?

निकटतम रेलवे स्टेशन भरतपुर में ही है, जो इस पार्क से करीब 5.5 किमी. की दूरी पर स्थित है। भरतपुर रेलवे स्टेशन से पार्क में टैक्सी द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।

बस से केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान कैसे पहुंचे ?

भरतपुर में स्थित केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान जयपुर-आगरा सड़क मार्ग के किनारे ही स्थित है, जहां जाने के लिए देश के प्रमुख शहरों से बस की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।

भरतपुर से नजदीकी शहरों के बीच की दूरी –

दिल्ली (आनंद विहार) से भरतपुर – 196 किमी.

ग्वालियर से भरतपुर – 150 किमी.

जयपुर से भरतपुर – 184 किमी.

मथुरा से भरतपुर – 39 किमी.

आगरा से भरतपुर – 54 किमी.

मैं आशा करता हूं कि यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। इसी तरह की और भी जानकारी प्राप्त करने के लिए आप हमें फॉलो कर सकते हैं। अगर इस पोस्ट से संबंधित आपका कोई सवाल हो, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताए।

धन्यवाद !

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