ज्वाला देवी मंदिर | Jwala Devi Temple Himachal in hindi

नमस्कार साथियों आज हम मां ज्वाला मंदिर के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं। इस मंदिर में किसी मूर्ति की पूजा नहीं होती हैं। यहां नौ ज्वाला बिना तेल एवं बाती के कई सालों से कैसे जलती हैं। उसके बारे में भी जानेंगे तो चलिए शुरू से शुरुआत करते हैं –

ज्वाला देवी मंदिर का इतिहास | History Of Jwala Devi Temple in hindi

मां ज्वाला का प्रसिद्ध मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा घाटी से 30 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है इस ज्वाला मंदिर को नगरकोट और ज्योता वाली मां के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।यह मां ज्वाला का मंदिर बाकी माता मंदिरों के तुलना में अलग एवं अनोखा हैं।

ऐसा इसलिए क्योंकि यहां पर मंदिर में कोई भी मूर्ति स्थापित नहीं है यहां किसी भी मूर्ति की पूजा नहीं की जाती है। इस मंदिर में धरती के अंदर से निकलती हुई 9 ज्वालओ की पूजा की जाती हैं जोकि माता के नौ स्वरूपों का प्रतीक माना जाता है।

इस मंदिर में जल रही नौ ज्वाला में से एक ज्वाला बड़ी हैं जिसे मां ज्वाला का स्वरूप माना जाता है। और दूसरी बाकी आठ ज्वाला को मां चंडी देवी, मां महालक्ष्मी, मां विंध्यवासिनी, मां अन्नपूर्णा, हिगलाज देवी, मां अंबिका देवी, माता अंजनी देवी और मां सरस्वती का स्वरूप माना जाता है।

51 शक्तिपीठों में से एक मां ज्वाला के इस मंदिर में भक्तों की भीड़ नवरात्र के समय देखने को मिलती है। नवरात्रि में इस मंदिर में मां ज्वाला की पूजा एवं अर्चना के लिए लोग काफी दूर-दूर से अधिक मात्रा में आते हैं।

ज्वाला को लेकर पौराणिक कथा

1.) पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहा इस स्थान पर माता सती का जीभ गिर गया था लोगों का कहना है कि यही कारन है कि माता सती ही यहां पर ज्वाला के रूप में विद्यमान रहती हैं।

2.) यहां पर जल रही ज्वाला को लेकर एक और कहानी बताई जाती है कहा जाता है, कि बाबा गोरखनाथ माता के बड़े भक्त हुआ करते थे। एक समय भूख लगने पर बाबा गोरखनाथ ने माता से बोले कि आप पानी गर्म करके रखिए मैं भिक्षा मांगकर तब तक आता हूं और गोरखनाथ बाबा भिक्षा मांगने निकल गए। गोरखनाथ बाबा जब से भिक्षा मांगने के लिए निकले हैं तब से और लौट कर आए ही नहीं।

यहां पर जल रही वही ज्वाला है जो मां ने जलाई थी। और इस ज्वला से कुछ दूरी पर एक कुंड है जहां के पानी से भाप निकलता रहता है। इस कहानी में बताया गया है कि ऐसी मान्यता है कि कभी न कभी बाबा गोरखनाथ लौटकर आएंगे। तब तक यह ज्वाला ऐसे ही उनकी इंतजार में जलती रहेगी।

इस ज्वाला को बुझाने की असफल कहानी –

1.) यहां जल रही ज्वाला को बुझाने की कोशिश अकबर भी कर चुका है। कहा जाता है कि मां ज्वालामुखी के बारे में जानने के बाद वह अपनी सेना को लेकर यहां के जल रही ज्वाला को बुझाने के लिए निकल पड़ा।

अकबर की सेना ने यहां चल रही ज्वाला को बुझाने का पूरा प्रयास किए, लेकिन असफल रहे। कहा जाता है, कि माता के इस चमत्कार को देख अकबर नतमस्तक हो गया और मां ज्वाला के इस मंदिर में सोने का छत्र चढ़ाने के उद्देश्य से अगले दिन पहुंचा और माँ ने अकबर के सोने के उस छात्र को स्वीकार नहीं किया और वह छात्र नीचे गिर कर अन्य धातु का रूप ले लिया।

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2.) यहां की ज्वाला को बुझाने की एक और कहानी बताई जाती है जिसमें कहा जाता है, कि औरंगजेब ने भी यहां की ज्वाला को बुझाने का योजना बनाया था।

उस समय जब वह अपने सैनिकों को इस ज्वाला को बुझाने के लिए भेज दिया सैनिक रास्ते में ही अभी थे तभी मां के चमत्कार की वजह से उन सैनिकों पर मधुमक्खियों ने हमला कर दिया और सारे सैनिक वही से लौटकर औरंगजेब के पास पहुंचकर औरंगजेब से सभी बातें बताई तब औरंगजेब ने इस ज्वाला को बुझाने की योजना ही त्याग दि।

आखिर यहां पर यह ज्वाला कब से जल रही है और आगे कब तक जलती रहेगी ?जैसे कि आपको मालूम ही है, कि यहां पर इस मंदिर में किसी भी मूर्ति की पूजा नहीं बल्कि आग की ज्वाला की पूजा की जाती है। परंतु हैरानी इस बात की है, कि यहां पर बिना तेल और बाती के ही 9 ज्वालाएं जल रही है।

इससे भी हैरानी की बात यह है कि आज तक कोई भी भूवैज्ञानिक और पुरातत्व विभाग द्वारा इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है कि आखिर यह ज्वाला कब से जल रही हैं और आगे कब तक जलती रहेंगी और यह ज्वाला कैसे जल रही हैं इन सभी सवालों के जवाब के लिए उन लोगों के द्वारा कई किलोमीटर तक खुदाई भी की गई लेकिन आखिरकार किसी को भी कुछ भी जानकारी नहीं मिल पाया। इसलिए इस ज्वाला के बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता, कि यह ज्वाला आगे अभी कितने दिन तक ऐसे ही जलती रहेगी।

ज्वाला देवी मंदिर कैसे जाएं – (How To Reach Jwala Devi Temple in Hindi)

ज्वाला देवी मंदिर आप तीनों मार्ग यानी कि वायु मार्ग, रेल मार्ग एवं सड़क मार्ग से जा सकते हैं। आपको यहां जाने के लिए तीनों मार्ग से साधन की व्यवस्था आसानी से मिल जाएगी।

ज्वाला देवी मंदिर हवाई जहाज से कैसे जाएं – How to Reach Jwala Devi Temple Himachal by Flight in hindi

ज्वाला देवी मंदिर के सबसे नजदीकी हवाई अड्डा गगल में है जो कि ज्वाला देवी मंदिर से 46 km की दूरी पर स्थित है। गगल पहुंचकर आप वहां से ज्वाला देवी मंदिर के लिए टैक्सी कैब आसानी से ले सकते हैं।

ज्वाला देवी मंदिर ट्रेन से कैसे जाएं – How to Reach Jwala Devi Temple Himachal by Train in hindi

अगर आप रेल मार्ग से ज्वाला देवी मंदिर जाना चाहते हैं, तो आप मरांडा से होते हुए पालमपुर पहुंचकर आप वहां से टैक्सी कैब या बस की सुविधा लेकर मां ज्वाला देवी मंदिर तक आसानी से पहुंच सकते हैं।

ज्वाला देवी मंदिर बस से कैसे जाएं – How to Reach Jwala Devi Temple Himachal by Bus in hindi

अगर आप ज्वाला देवी मंदिर सड़क मार्ग से जाना चाहते हैं, तो आपको दिल्ली और शिमला जैसे बड़े – बड़े शहरों से बस या टैक्सी की सुविधा आसानी से मिल जाएगी।

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धन्यवाद !

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