नमस्कार साथियों आज हम एक ऐसे रेलवे लाइन के बारे में बात करने वाले हैं जिसे डेथ रेलवे रूट के नाम से जाना जाता है। हालांकि प्रोजेक्ट के निर्माण के पहले इस रेलवे लाइन का नाम कुछ और रखा गया था। लेकिन इस रेलवे लाइन प्रोजेक्ट को पूरा करने में इतना ज्यादा लोगों ने अपना जान गवा दिया कि इस रेलवे लाइन का नाम डेथ रेलवे रूट पड़ गया। तो चलिए इस डेथ रेलवे रूट के नाम से मशहूर ट्रैक के बारे में विस्तार से जानने के लिए शुरू से शुरुआत करते हैं –
डेथ रेलवे रूट थाइलैंड | death Railway Route Thailand in Hindi
डेथ रेलवे रूट म्यांमार (बर्मा) और थाईलैंड के बीच बने एक रेलवे रूट को कहा जाता है। इस रूट को पहले ‘थार-वर्मा’ लाइन का नाम दिया गया था। इस रूट को जापान ने 1943 ईस्वी में बना कर तैयार करवा दिया था।
इस रूट को बनाने का जापान ने निर्णय 1942 ईस्वी में लिया था। हालांकि इस रूट को बनाने की योजना 1942 से पहले ही बनाई गई थी लेकिन विशाल पहाड़ों एवं घने जंगल के इस रूट में पड़ने के कारण इस प्रोजेक्ट का काम शुरू नहीं हो पाया। यह रेलवे लाइन जिसकी लंबाई 415 किलोमीटर है को बनाने में हजारों की संख्या में काम करने वाले मजदूर को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।
क्यों कहां जाता है इसे रेलवे ऑफ डेट ?
1942 ई. के दौरान जब जापानियों ने साउथ ईस्ट एशिया पर विजय पाकर वहां के 60000 लोगों को बंदी बनाया था और इन बंदी बनाए लोगों को इस रेलवे लाइन का निर्माण जल्दी कराने के लिए काम पर लगा दिया।
कुछ समय गुजरने के बाद जब कुछ हिस्से का काम पूरा हो गया उसके बाद उन्हें लगा कि इस प्रोजेक्ट का काम समय पर पूरा ना हो पाएगा, तभी जापानी 200000 लगभग एशियाई मजदूरों को इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए प्रलोभन देकर यहां पर काम करने के लिए मना लाए। कुछ एशियाई लोग यहां आने के बाद काम करने से मना करने लगे, तभी जापानियों द्वारा उन्हें जबरदस्ती काम करने के लिए राजी किया गया।
इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए मजदूरों से बलपूर्वक काम कराया जाता और उन्हें उचित मात्रा में भोजन भी नहीं दिया जाता जिसके वजह से वेलोग कमजोर एवं बीमार होने लगे। जापानियों के द्वारा इन लोगों के बीमार होने के बावजूद भी एशियाई लोगों को दवाईयां एवं इलाज नहीं दिया गया। इलाज और दवाइयों के अभाव में हजारों एशियाई मजदूरों की मौत होने लगी।
इस लाइन को बनाने में एक रिपोर्ट के अनुसार लगभग 90 हजार एशियाई मजदूर एवं 12399 के आसपास बंदी मजदूरों की मौत हुई थी। इसी वजह से इस प्रोजेक्ट का नाम डेथ रेलवे रूट पड़ा जो, कि पहले इस प्रोजेक्ट का ‘थार-वर्मा’ नाम रखा गया था।
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