आपने हर जगह मंदिरों में देवी-देवताओं की पूजा होते हुए तो देखा ही होगा, लेकिन क्या आपने कभी किसी मंदिर में मोटरसाइकिल की पूजा के बारे में सुना है। सुनने में तो यह बहुत अजीब लगता होगा, लेकिन हमारे ही देश के राजस्थान में एक ऐसा मंदिर है, जिसका नाम ओम बन्ना और बुलेट बाबा धाम है और यहां पर रॉयल एनफील्ड बुलेट 350 की पूजा की जाती है। राजस्थान आने वाले पूरे देश के बाइक राइडर इस मंदिर में आना नहीं भूलते हैं। तो आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में।
ओम बन्ना (बुलेट बाबा) मंदिर कहां स्थित है ? – bullet wala baba
यह मंदिर राजस्थान के पाली जिले में बरमेर-पाली सड़क मार्ग पर स्थित है। बुलेट बाबा मंदिर नजदीकी शहर जोधपुर से करीब 45 किमी. और पाली से करीब 60 किमी. की दूरी पर स्थित है, जो आज के समय में यहां का एक बेहद आकर्षण का केंद्र बन गया है।
बुलेट बाबा यानी बाइक की पूजा होने वाला मंदिर किस देवता को समर्पित है ?
बाइक के रूप में पूजा होने वाले मंदिर में ब्रह्मा, विष्णु और महेश जैसे किसी देवता की पूजा नहीं होती है। इस मंदिर में ओम बन्ना नामक एक व्यक्ति की पूजा होती है, जो राजस्थान के पाली जिले के चोटिला गांव के निवासी थे और इनके पिता का नाम जोग सिंह राठौर है। तो आइए जानते हैं इस मंदिर इतिहास के बारे में।
बुलेट बाबा धाम का इतिहास – History of Bulet Baba Temple Rajasthan In Hindi.
ओम बन्ना इनका पूरा नाम नहीं है। इनका पूरा नाम ओम सिंह राठौर है। राजस्थान के नवयुवक वर्ग के लोगों को बन्ना कहा जाता है, इसलिए इन्हें ओम बन्ना के नाम से जाना जाता है। ओम बन्ना जी के बुलेट 350 का नंबर RNJ7773 है।
ओम बन्ना (बुलेट बाबा) मंदिर का इतिहासयह घटना करीब 33 साल पहले 1988 की है, जब ओम बन्ना अपनी बाइक बुलेट 350 से बांगड़ी से अपने गांव (चोटिला) की ओर लौट रहे थे। पाली के वर्तमान में स्थित इस जगह के पास आने के बाद उनको ऐसा लगा कि सड़क पर कोई आ रहा है, इसलिए उन्होंने अपनी बाइक की हैंडल घुमा ली, तभी सामने से आ रहे ट्रक से टकरा कर वे दोबारा एक पेड़ से टकरा गए, टक्कर तेज होने की वजह से घटना वाले स्थान पर ही ओम बन्ना की मौत हो गई। खबर सुनते ही पुलिस उस घटना स्थल पर पहुंची और अपने नियमानुसार बाइक और शव कों थाने ले गई।
यहां से कहानी ने अपना मोड़ ले लिया। हुआ कुछ यूं कि घटना के अगले दिन ही बाइक थाने से गायब हो गई। पुलिस कर्मियों को लगा की बाइक को किसी ने चोरी कर लिया और बाइक की खोज करने लगी। 1-2 दिन बाद वह बाइक घटना स्थल पर खड़ी मिलती है, जहां ओम बन्ना जी की मौत हुई थी। बाइक को फिर वापस थाना लाया गया। फिर क्या था बाइक अगले दिन भी वहां से गायब हो गई और उसी घटना पर आ पहुंची और खड़ी हो गई।
अगले दिन जब उनके पिताजी (जोग सिंह राठौर) को यह बात पता चला, तो वे तुरंत घटना स्थल पर आए और पुलिस कर्मियों के द्वारा बाइक को थाना ले जाया गया। बाइक को थाना ले जाने के बाद उसके टंकी से तेल का एक-एक बूंद निकाल लिया गया और बाइक को जंजीर से बांध दिया गया। देखते ही देखते बाइक खुद-ब-खुद स्टार्ट हो गई और जंजीर को तोड़ती हुए घटना स्थल पर आ पहुंची।
ओम बन्ना (bullet wala baba) के मंदिर का निर्माण इस प्रकार से हुआजैसे होता है न की किसी गांव में बाघ आ गया हो, उस तरह से यह घटना आसपास के गांव वालों में फैलती चली गई। ओम बन्ना के पिताजी के आदेश पर अपने बेटे के आत्मा की शांति के लिए उस बाइक को घटना स्थल पर, जहां बाइक खुद ब खुद आकर खड़ी हो जाती थी, एक चबूतरा बनाकर बाइक को खड़ी करवा दी। गांव वालों ने इस घटना को सुनने के बाद बाइक के पूजा करने लगे और मन्नते मांगनी शुरू कर दी, मानो कोई देवता ने स्वर्ग लोक से धरती पर कदम रखा है।
जब लोगों की मन्नतें पूरी होने लगी, तो उन्होंने इस बाइक के बगल में ही ओम बन्ना जी के एक मंदिर का निर्माण करवा दिया। वहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि इस जगह के आसपास पहले हमेशा घटना होती रहती थी, लेकिन मंदिर के निर्माण होने के बाद अबतक एक भी घटना नहीं हुआ या यूं कहें तो बहुत कम हो गया है।
अगर आप bullet wala baba के पास जाते हैं, तो आपको वहां पर आसपास के लोगों के साथ-साथ कुछ बाइक राइडर भी मंदिर में दर्शन करते हुए देखने को मिल सकते हैं। अगर आप इस रहसमयी घटना पर विश्वास करते हैं, तो आपको भी राजस्थान जाने के बाद इस मंदिर में जाना चाहिए और अगर आपको इस तरह के घटना पर विश्वास नहीं है, तो इसमें मेरी कोई गलती नहीं है, क्योंकि मैंने इस रहस्यमयी घटना के बारे में वहां के स्थानीय लोगों के द्वारा जानने के बाद ही आप तक पहुंचाने का कोशिश किया है।
मेरा इस रहस्यमयी घटना को बढ़ावा देना का कोई मकसद नहीं है, क्योंकि मैंने इस रहस्मयी घटना को सिर्फ आपके जानकारी के लिए तैयार किया है।
मैं आशा करता हूं कि यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। अगर इस पोस्ट से संबंधित आपका कोई सवाल हो, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।
धन्यवाद !
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