मां तारा देवी मंदिर शिमला शहर के एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है, जो शिमला शहर के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की हर एक मनोकामना को मां तारा देवी पूरा करतीं हैं, जिसकी वजह से यहां आने वाले सभी श्रद्धालुओं का अटूट आस्था और विश्वास जुड़ा हुआ है, जिसका प्रमाण आपको नीचे देखने को मिल जाएगा। तो आइए जानते हैं मां तारा देवी मंदिर के इतिहास और उनसे जुड़े सभी चीजों के बारे में –
तारा देवी मंदिर का इतिहास – History of Tara Devi Temple Shimla In Hindi.
पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि भूपेंद्र सेन नामक राजा एक बार वर्तमान में स्थापित मां तारा देवी के मंदिर के बगल वाले जंगल में शिकार करने गए थे और तभी उन्हें जंगल में मां तारा देवी और हनुमान जी दिखाई दिए। मां तारा देवी ने भूपेंद्र सेन से वर्तमान में स्थापित मंदिर वाले चोटी पर निवास करने की अभिलाषा जताई।
मां तारा देवी के मंदिर स्थापित करने के लिए भूपेंद्र सेन ने अपने जमीन का एक बहुत बड़ा हिस्सा दान कर किया। मां तारा देवी के मंदिर का निर्माण होने के बाद मां तारा देवी की लकड़ी के बनी मूर्ति को मंदिर में स्थापित कर दिया गया।
भूपेंद्र सेन के बाद उनके वंशज बलवीर सेन को भी माता के दर्शन हुए, जिसके फलस्वरूप बलवीर सिंह ने माता के मंदिर का पूर्ण रूप से निर्माण करवाया था और मंदिर में मां तारा देवी के अष्टधातु की मूर्ति स्थापित करवाई थी।
तारा देवी मंदिर कहां स्थित है ?
मां तारा देवी का मंदिर हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से करीब 12 किमी. की दूरी पर एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है, जहां से शिमला शहर का एक बेहतरीन नजारा देखने को मिलता है।
तारा देवी मंदिर सप्ताह में कितने दिनों तक खुला रहता है ?
यह मंदिर सप्ताह के सातों दिनों तक खुला रहता है, जिसे प्रत्येक दिन सुबह 07:00 बजे खोला जाता है और शाम 06:30 बजे बंद कर दिया जाता है।
मां तारा देवी मंदिर में भंडारा (लंगर) का आयोजन सप्ताह के किस दिन होता है ?
इस मंदिर में सप्ताह के हर रविवार और मंगलवार को भंडारा यानी लंगर का आयोजन रखा जाता है, जो श्रद्धालुओं द्वारा मन्नत पूरी होने पर रखा जाता है और हर एक भंडारे में पांच प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं। अगर आप भी मन्नत पूरी होने के बाद मां तारा देवी मंदिर में भंडारा का आयोजन रखना चाहते हैं, तो आपको 5-6 साल इंतजार करना पड़ेगा, क्योंकि इस मंदिर में पहले से ही श्रद्धालुओं द्वारा 5 सालों तक का भंडारे की बुकिंग हो चुकी है। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मां तारा देवी की कितनी महिमा है।
अगर आप इस मंदिर में जाना चाहते हैं, तो आप रविवार या मंगलवार को ही मंदिर में जाएं, ताकि आपको मां तारा देवी का प्रसाद खाने का अवसर मिल सके। इस प्रसाद को खाने के लिए मंदिर में रविवार और मंगलवार को दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं, जिसकी वजह से रविवार और मंगलवार को मंदिर में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ देखने को मिलती है।
शिमला से मां तारा देवी मंदिर कैसे पहुंचे ? – How to Reach Shimla to Tara Devi Temple In Hindi.
अगर आप अपनी खुद की बाइक या कार से मां तारा देवी मंदिर जाना चाहते हैं, तो आप आसानी से मंदिर तक पहुंच सकते हैं। शिमला से मां तारा देवी मंदिर तक जाने के लिए एचआरटीसी (HRTC) की रेगुलर बसें चलती है और साथ ही बहुत सारी टैक्सियां भी चलती है, जिससे आप आसानी से मां तारा देवी मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
ध्यान देने योग्य बातें…
अगर आप मंदिर के सीढ़ी पर चढ़ रहे हैं, तो आप अपने हाथ में किसी भी तरह की कोई चीज ना रखें, वरना कब आपके हाथ से गायब हो जाएगा, आपको पता भी नहीं चलेगा। आप समझ गए होंगे कि मैं किस चीज के बारे में बात कर रहा हूं। इस मंदिर में बहुत सारे बंदर हैं, जिसे आपके हाथों में कोई भी चीज देखना हजम ही नहीं होता है, चाहे वो चीज डस्टबिन में फेंकने वाला ही सामान क्यों ना हो। इसलिए आप मंदिर में जाते समय इन बातों का हमेशा ध्यान रखें।
मैं आशा करता हूं कि यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। अगर इस पोस्ट से संबंधित आपका कोई सवाल हो, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में बताना ना भूलें।
धन्यवाद !
इन्हें भी पढ़े : –