फ्लाइट से लेह लद्दाख की यात्रा कैसे करें | How To Reach Leh Ladakh By Flight In Hindi.

आज मैं आपको फ्लाइट से लेह लद्दाख की यात्रा कैसे करें एवं उससे संबंधित सभी चीजों के बारे में जानकारी देने वाला हूं, जिससे आपको फ्लाइट से लेह लद्दाख की यात्रा करने में काफी ज्यादा मदद मिल सकेगी। तो आइए जानते हैं कि फ्लाइट से लेह लद्दाख कैसे जाएं और फ्लाइट से इस यात्रा पर जाने के फायदे और नुकसान क्या-क्या है?

हवाई जहाज से लेह लद्दाख कैसे जाएं?

लेह का प्रमुख हवाई अड्डा कुशोक बकुला रिनपोछे है, जो लेह मुख्य शहर से मात्र 2.6 किमी. की दूरी पर स्थित है। ज्यादातर फ्लाइट से लद्दाख जाने वाले पर्यटक लेह के इसी एयरपोर्ट के लिए फ्लाइट पकड़ते हैं, ताकि उनका समय बच सके। देश के कई सारे प्रमुख एयरपोर्ट से लेह में स्थित कुशोक बकुला रिनपोछे एयरपोर्ट के लिए सीधे फ्लाइट की सुविधा उपलब्ध है। बदलते मौसम के दौरान लेह के लिए उड़ान भरने वाली फ्लाइट के समय में कभी-कभी परिवर्तन भी देखने को मिलता है।

लेह लद्दाख के पीक सीजन में फ्लाइट से लेह जाने की प्लानिंग करने वाले पर्यटकों के साथ कभी-कभी ऐसा भी होता है कि लेह जाने वाली फ्लाइट की टिकट बुक हो जाने की वजह से लेह के लिए उनको फ्लाइट नहीं मिल पाती है। इसलिए अगर आप लेह लद्दाख ट्रिप पर जाने का प्लान बना रहे हैं, तो लेह लद्दाख ट्रिप पर जाने से एक महीने पहले ही आप अपनी फ्लाइट की टिकट बुक करा लें।

दोस्तों आपको तो पता ही होगा कि लेह-लद्दाख का मौसम कितना ठंडा होता है खासकर सर्दी के मौसम में। इसलिए सर्दी के दिनों में कभी-कभी ऐसा भी देखने को मिलता है कि लेह जाने वाली फ्लाइट स्नो फॉल (snow fall) वगैरह होने की वजह से अपनी उड़ान नहीं भर पाती है। लेह का कुशोक बकुला रिनपोछे एयरपोर्ट एक मिलिट्री एयरपोर्ट होने की वजह से यहां पर देश के अन्य एयरपोर्ट की तुलना में सुरक्षा जांच काफी सख्त होती है, लेकिन आपको उससे डरना नहीं है। आपको अपने साथ सिर्फ वही समान लेकर जाना है, जिसे ले जाने की अनुमति दी जाती है।

हवाई जहाज से लेह लद्दाख जाने के फायदे और नुकसान –

फ्लाइट से लेह जाने का सबसे बड़ा फायदा जो होता है, वो है समय की बचत। जी हां, अगर आप फ्लाइट से लेह लद्दाख ट्रिप पर जाते हैं, तो आप देश के किसी भी शहर से 1-2 घंटे में लेह पहुंच सकते हैं, जिससे बाइक और कार की तुलना में आपकी काफी समय की काफी बचत हो जाएगी।

फ्लाइट से लेह लद्दाख ट्रिप पर जाने का नुकसान यह है कि आप सड़क मार्ग से लेह जाते समय रास्ते में मिलने वाले खूबसूरत नजारों को नहीं देख सकते हैं। जी हां, लेह जाने पर हर घंटे पहाड़ों के अलग-अलग नजारे देखने को मिलते हैं। कभी आपको बंजर जमीन, तो कभी लहलहाते पेड़-पौधे। कभी एक तरफ बहती हुई नदियां, तो कभी बर्फ से ढंके पहाड़। और अगर आप फ्लाइट से लेह लद्दाख ट्रिप पर जा रहे हैं, तो आपको इन सभी चीजों से वंचित होना पड़ेगा और दोस्तों मेरा मानना यह है कि मंज़िल पर पहुंचने से ज्यादा मजा सफर का होता है।

लेह-लद्दाख ट्रिप पर जाने का प्लान कैसे करना चाहिए ?

दोस्तों अगर आपके पास लेह लद्दाख ट्रिप के लिए मात्र 4-5 दिन का समय है, तो आप फ्लाइट से ही लेह लद्दाख ट्रिप पर जाने का प्लान बनाएं, क्योंकि 4-5 दिन में सड़क या रेल मार्ग द्वारा लेह लद्दाख की यात्रा करना नामुमकिन हो जाता है, लेकिन दोस्तों अगर आपके पास 10-12 दिन का समय है, तो आप सड़क मार्ग द्वारा लेह-लद्दाख ट्रिप पर जाने का प्लान बनाएं, ताकि ट्रैवल करने के दौरान रास्ते में मिलने वाले खूबसूरत और आकर्षक नजारों का भी आप लुत्फ उठा सकें।

फ्लाइट से लेह-लद्दाख ट्रिप पर जाते समय ध्यान दें इन जरूरी बातों को –

अगर आप फ्लाइट से लेह-लद्दाख ट्रिप पर जा रहे हैं, तो आपको लेह पहुंचने के बाद डेढ़ से दो दिन तक लेह में ही रुकना चाहिए, क्योंकि समुद्र तल से लेह की ऊंचाई लगभग 3500 मीटर (11482 फीट) है और अगर आप लेह जाते ही अपनी आगे की यात्रा शुरू कर देते हैं, तो आपको ऑक्सीजन की कमी होने की लगभग 80-90% संभावना बनी रहती है और ऐसा होने से आप एल्टीट्यूड सिकनेस (AMS) का शिकार भी हो सकते हैं।

लेह लद्दाख ट्रिप पर जाते समय आपको यह बात हमेशा ध्यान में रखनी होगी कि अगर आप एल्टीट्यूड सिकनेस (AMS) का शिकार हो जाते हैं, तो आपकी लेह लद्दाख की यह ट्रिप पूरी तरह से तहस नहस भी हो सकती है। एल्टीट्यूड सिकनेस (AMS) से बचने के लिए आपको लेह में डेढ से दो दिन लेह में जरूर रुकनी चाहिए।

लेह में रुकने के दौरान आप वहां के लोकल साइट्स जैसे – शांति स्तूप, मैग्नेटिक हिल, लेह पैलेस के साथ-साथ लेह मार्केट को विजिट कर सकते हैं और दो दिन बाद अपने प्लान के अनुसार आगे की यात्रा शुरू कर सकते हैं।

मैं आशा करता हूं कि यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। अगर इस पोस्ट से संबंधित आपका कोई सवाल हो, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं। मैं आपको जवाब देने की कोशिश जरूर करूंगा।

धन्यवाद।

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