
दुनिया की सबसे चर्चित समुद्री दुर्घटनाओं में से एक, टाइटैनिक की कहानी आज भी लोगों को रोमांचित और दुखी करती है। एक बार फिर यह विषय चर्चा में है, क्योंकि टाइटैनिक के मलबे को दिखाने गई पनडुब्बी ‘टाइटन’ उत्तरी अटलांटिक महासागर में डूब गई। इस हादसे ने एक बार फिर टाइटैनिक से जुड़े कारणों की ओर ध्यान खींचा है कि आखिर ऐसा क्या हुआ था, जो यह अजेय माना जाने वाला जहाज अपने पहले ही सफर में समुद्र की गहराइयों में समा गया।
10 अप्रैल 1912 को इंग्लैंड के साउथम्पटन से अमेरिका के न्यूयॉर्क के लिए रवाना हुआ टाइटैनिक 14 अप्रैल की रात एक आइसबर्ग से टकरा गया। इस हादसे में 1,500 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। आइए जानते हैं उन पांच बड़ी वजहों के बारे में, जो इस ऐतिहासिक त्रासदी का कारण बनीं।
1. लाइफबोट की भारी कमी
टाइटैनिक पर 2,200 से ज्यादा यात्री और कर्मचारी मौजूद थे, लेकिन उस पर केवल 20 लाइफबोट ही थीं, जबकि इसकी क्षमता 64 लाइफबोट तक की थी। सुरक्षा मानकों की अनदेखी करते हुए कम बोट्स रखी गईं, जिससे ज्यादा लोगों को बचाया नहीं जा सका।
2. अधूरी भरी लाइफबोट्स
हादसे के समय कई लाइफबोट्स को जल्दी में इस तरह उतारा गया कि उनमें पूरी क्षमता के लोग नहीं बैठे थे। इससे कई सीटें खाली रह गईं और जिन लोगों को बचाया जा सकता था, वे पानी में डूब गए या ठंड से जान गंवा बैठे।
3. चेतावनी को नजरअंदाज करना
जहाज को हादसे से पहले ही बर्फ की चट्टानों की चेतावनी दी जा चुकी थी, लेकिन जहाज के अधिकारियों ने इस पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया। समय रहते सतर्कता बरती जाती, तो शायद हादसा टल सकता था।
4. दूरबीन का न होना
जहाज के क्रू मेंबर्स के पास दूरबीन नहीं थी, जिससे आइसबर्ग को जल्दी पहचाना जा सकता था। दरअसल, दूरबीन जिस लॉकर में रखी गई थी, उसकी चाबी गलती से एक ऐसे सदस्य के पास रह गई थी, जो सफर में शामिल नहीं था। इस छोटी-सी चूक ने बड़ा हादसा कर दिया।
5. इंजन को देरी से रिवर्स करना
जब आइसबर्ग दिखाई दिया, तब जहाज के अधिकारियों ने इंजन को रिवर्स करने का आदेश दिया, लेकिन यह निर्णय लगभग 30 सेकंड देर से लिया गया। अगर आइसबर्ग थोड़ा पहले दिखाई देता, तो जहाज को बचाया जा सकता था।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
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टाइटैनिक का निर्माण 31 मार्च 1909 को शुरू हुआ और 31 मई 1911 को पूरा हुआ। निर्माण के दौरान दो लोगों की मौत और 246 घायल हुए थे।
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इसकी सीटी की आवाज 16 किलोमीटर दूर तक सुनाई देती थी।
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जब जहाज डूब रहा था, तब भी म्यूजिशियनों ने अपना संगीत बजाना नहीं छोड़ा, ताकि यात्री आखिरी समय तक शांत और सकारात्मक महसूस कर सकें।
ठंडी समुद्री लहरें और आइसबर्ग की कहानी
बताया जाता है कि जिससे टाइटैनिक टकराया था, वह आइसबर्ग करीब 10 हजार साल पहले ग्रीनलैंड से अलग हुआ था और टकराव के दो हफ्ते बाद वह पिघल गया। उस रात समुद्र का तापमान -2 डिग्री सेल्सियस था, जिसमें कोई भी व्यक्ति 15 मिनट से ज्यादा जीवित नहीं रह सकता था।
एक फिल्म, एक इतिहास
टाइटैनिक को बनाने में उस दौर में करीब 75 लाख डॉलर खर्च हुए थे, जबकि इस पर बनी मशहूर हॉलीवुड फिल्म “टाइटैनिक” पर 209 करोड़ डॉलर से भी ज्यादा खर्च किया गया — जिसने इस ऐतिहासिक हादसे को एक बार फिर जीवंत कर दिया।