केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड राज्य के चारधाम और पंचकेदार दोनों का एक प्रसिद्ध अंग है, जो भगवान भोलेनाथ को समर्पित है। हर साल लाखों पर्यटकों और श्रद्धालुओं द्वारा विजिट किया जाने वाला केदारनाथ मंदिर देश भर में काफी प्रसिद्ध है। केदारनाथ मंदिर जाने के लिए लगभग 16 किमी. का ट्रेकिंग करना पड़ता है और इसके बावजूद भी केदारनाथ मंदिर जाने वाले पर्यटकों की भीड़ कम नहीं होती है। आइए जानते हैं केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड से जुड़े सभी चीजों के बारे में-
केदारनाथ मंदिर कहां स्थित है ?
केदारनाथ मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। केदारनाथ मंदिर तीन तरफ से ऊंचे पहाड़ों से घिरा हुआ है, जिसमें केदारनाथ (22000 फीट), खर्चकुंड (21,600 फीट) और भरतकुंड (22,700 फीट) शामिल है।
केदारनाथ न केवल पहाड़ बल्कि पांच नदियों का संगम भी है, जिसमें सरस्वती, स्वर्णगौरी, क्षीरगंगा, मंदाकिनी और मधुगंगा शामिल है। इन नदियों में से कुछ का तो अस्तित्व ही खत्म हो गया, लेकिन अलकनंदा की सहायक नदी मंदाकिनी को आज भी यहां पर देखा जा सकता है, जिसमें सर्दियों के समय भारी बर्फ और बारिश की वजह से जल की काफी ज्यादा मात्रा देखने को मिलती है।
केदारनाथ मंदिर की लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई कितनी है ?
केदारनाथ मंदिर समुद्रतल से करीब 3584 मीटर (11,758 फूट) की ऊंचाई पर स्थित है, जिसे 6 फूट ऊंचे चबूतरे पर बनाया गया है। केदारनाथ मंदिर की लंबाई 187 फूट, चौड़ाई 80 फूट और ऊंचाई 85 फूट है, जिसकी दीवारें 12 फूट मोटी है और इसे कत्यूरी पत्थरों से बेहद मजबूती के साथ बनाया गया है।
इस मंदिर की हैरान कर देने वाली बात ये है कि कैसे इतने भारी पत्थरों को इतनी ऊंचाई पर ले जाने के बाद इन्हें तरासकर मंदिर की ढांचा तैयार की गई होगी। जानकारों का मानना है कि पत्थरों को एक-दूसरे से जोड़ने के लिए के लिए इंटरलॉकिंग जैसे तकनीक का इस्तेमाल किया गया होगा, क्योंकि इस तरह के तकनीक ही मंदिर को बीचोबीच खड़े होने में कायम रखती है।
केदारनाथ धाम साल में कितने दिनों तक खुला रहता है ?
केदारनाथ मंदिर सहित इसके आसपास के क्षेत्रों में भारी बर्फबारी होने के कारण केदारनाथ मंदिर के कपाट साल हर साल सामान्यतः 15 नवम्बर के आसपास दीपावली के दो दिन बाद भाई दूज को बंद हो जाता है और 6 महीने बाद अर्थात अप्रैल-मई महीनेे में अक्षय तृतीया के दिन खुलता है। इतने दिनों तक केदारनाथ मंदिर में स्थापित भगवान शिव के उत्सव डोली को ऊखीमठ में लाया जाता है और वहीं पर भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है।
केदारनाथ मंदिर के कपाट खोलते समय मंदिर की स्थिति बिल्कुल पहले जैसे ही रहती है, जिस स्थिति में मंदिर को बंद किया गया था। मंदिर के कपाट के खुलने के कुछ दिनों के बाद ही मंदिर में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ उमड़ कर आती है। कुछ लोग तो केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलते समय भी यहां आते हैं और भगवान भोलेनाथ के दर्शन करते हैं।
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केदारनाथ मंदिर के दर्शन एवं आरती का समय –
क्रम सं. | कार्यक्रम | समय |
1. | मंदिर खुलने का समय | प्रातः 7:00 बजे |
2. | आरती का समय | प्रातः 7:30 से 8:30 बजे |
3. | विशेष पूजा | दोपहर 3:00 से 5:00 बजे |
4. | आरती की तैयारी के लिए मंदिर बंद होने का समय | शाम 5:00 बजे |
5. | आरती का समय | शाम 7:30 से 8:30 बजे |
6. | बंद होने का समय | रात्रि 8:30 बजे |
केदारनाथ मंदिर कैसे पहुंचे ?
केदारनाथ मंदिर जाने के लिए आप फ्लाइट, ट्रेन या बस की सुविधा ले सकते हैं, लेकिन उत्तराखंड के प्रमुख शहरों से केदारनाथ मंदिर जाने के लिए सिर्फ बस की सुविधा ही उपलब्ध होती है। तो आइए जानते हैं कि केदारनाथ मंदिर कैसे पहुंचे।
1 . हवाई जहाज से केदारनाथ मंदिर कैसे पहुंचे ?
केदारनाथ मंदिर का नजदीकी हवाई अड्डा जौली ग्रांट है, जो उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में स्थित है। देहरादून आने के बाद आपको सोनप्रयाग आना पड़ेगा। जौली ग्रांट से सीधा सोनप्रयाग जाने के लिए आपको बस की सुविधा उपलब्ध होती है।
पहले मैं आपको सोनप्रयाग जाने के बारे में बता देता हूं कि आप सोनप्रयाग कैसे जा सकते हैं और उसके बाद मैंने सोनप्रयाग से केदारनाथ मंदिर जाने के बारे में भी बताया है।
2 . ट्रेन से केदारनाथ मंदिर कैसे पहुंचे ?
केदारनाथ मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन देहरादून, ऋषिकेश और हरिद्वार में है और उत्तराखंड के इन तीनों शहरों से सोनप्रयाग जाने के लिए आपको बस की सुविधा आसानी से मिल जाती है। ज्यादातर लोग केदारनाथ धाम की यात्रा करने के लिए हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर आना पसंद करते हैं, क्योंकि हरिद्वार से सोनप्रयाग जाने के लिए देहरादून और ऋषिकेश की तुलना में अधिक बसें चलती हैं।
3. बस से केदारनाथ मंदिर कैसे पहुंचे ?
केदारनाथ मंदिर का नजदीकी बस स्टैंड देहरादून, ऋषिकेश या हरिद्वार में है, जहां आने के लिए देश के मशहूर शहरों से बस और ट्रेन चलती है। इन तीनों शहरों से सोनप्रयाग जाने के लिए सीधा बस चलती है। बस से केदारनाथ धाम की यात्रा को सबसे कम खर्च में पूरा किया जा सकता है।
सबसे जरूरी बातें …
देहरादून, हरिद्वार और ऋषिकेश से सोनप्रयाग आने के एक दिन पहले ही शाम में बस का टिकट बुक करा लें, क्योंकि केदारनाथ मंदिर जाने के लिए भीड़ इतनी ज्यादा होती है कि आपको उसी दिन बस का टिकट मिलेगा या नहीं इसकी कोई गारंटी नहीं है।
सोनप्रयाग से केदारनाथ मंदिर कैसे जाएं ?
सोनप्रयाग से करीब 5 किमी. की दूरी पर गौरीकुंड नामक एक जगह है, जहां से केदारनाथ मंदिर की चढ़ाई शुरू होती है। सोनप्रयाग से गौरीकुंड जाने के लिए लोकल टैक्सी की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है, जिसका किराया ₹ 30 के आस पास होता है।
गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर की दूरी करीब 16 किमी. है और इस दूरी को आप पैदल, खच्चर या पालकी द्वारा पूरा कर सकते हैं।
केदारनाथ मंदिर की यात्रा करते समय क्या-क्या लेकर जाना चाहिए ?
1 . केदारनाथ धाम की यात्रा करने से पहले आपको कुछ जरूरी मेडिसिन जैसे – बुखार, सर्दी,खांसी, उल्टी, सिर दर्द, पेट दर्द, चक्कर, ईनो, ओआरएस आदि लेकर जरूर जानी चाहिए।
2 . अपने पास रेन कोट जरूर रखें, क्योंकि पहाड़ों पर कभी भी बारिश हो सकती है।
3 . एक चप्पल जरूर रखें, ताकि बारिश होने पर आपके जूते भींग ना पाए।
4 . कुछ बिस्कुट और चॉकलेट लाना ना भूलें, क्योंकि चढ़ाई करने पर पानी पीते समय खाने के काम आते हैं।
5 . लाइटर और टॉर्च आपके पास जरूर होनी चाहिए, वरना इन दोनों चीजों की कमी आपको हमेशा सबसे ज्यादा इमरजेंसी में ही याद आएगी।
केदारनाथ मंदिर की यात्रा करते समय इन बातों को रखें ध्यान में –
1 . केदारनाथ मंदिर की चढ़ाई करने से पहले आपको मेंटली और फिजिकली फीट होना बेहद जरूरी है।
2 . केदारनाथ धाम की यात्रा करते समय गौरीकुंड से एक स्टिक खरीद लें। इससे केदारनाथ मंदिर की चढ़ाई करने में आपको काफी मदद मिलेगी।
3 . केदारनाथ मंदिर की चढ़ाई सूर्योदय से पहले ही शुरू कर दें, क्योंकि धूप में चढ़ाई करने से थकान ज्यादा महसूस होती है। साथ ही सूर्यास्त से पहले ही चढ़ाई पूरी करने की कोशिश करें, क्योंकि पहाड़ों पर रात में चढ़ाई करना सुरक्षित नहीं रहता है।
4 . केदारनाथ की चढ़ाई धीरे-धीरे पूरा करें, क्योंकि जल्दी-जल्दी चलने से आपको बहुत जल्दी थकान हो सकती है।
5 . चढ़ाई करते समय पानी ज्यादा पीना चाहिए, क्योंकि प्यास लगने से थकान ज्यादा महसूस होता है।
6 . चढ़ाई करते समय अधिक मात्रा में ब्रेकफास्ट और लंच ना करें, वरना आपको पेट दर्द और सिर दर्द भी हो सकती है।
केदारनाथ मंदिर की यात्रा करते समय क्या-क्या सुविधा मिलती है ?
1 . चढ़ाई करने के हेलीकॉप्टर, घोड़ा, पालकी और पिट्ठू वगैरह की सुविधा उपलब्ध होती है।
2 . चढ़ाई करते समय जगह-जगह पर पीने वाले पानी का नल और बाथरूम वगैरह की व्यवस्था कराई गई है, जिसका उपयोग आप निःशुल्क कर सकते हैं। पहाड़ों से गिरने वाला पानी भी बिल्कुल शुद्ध होता है, जिसका सेवन आप पीने वाले पानी की तरह कर सकते हैं।
3 . जगह-जगह पर रेस्टोरेंट्स की सुविधा भी उपलब्ध है।
4 . केदारनाथ मंदिर के आसपास खाने-पीने और रात को ठहरने के लिए बहुत सारे होटल रेस्टोरेंट्स, रूम और कैंप की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
मुझे उम्मीद है कि मेरे द्वारा “केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड” के बारे में दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी। अगर इस पोस्ट से संबंधित आपका कोई सवाल हो, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं और अगर इस पोस्ट में आपको कुछ गलत लगे, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में बताने की कोशिश जरूर करें, ताकि अपडेट करते समय हम उस गलती को सुधार सकें।
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