June 13, 2025
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समाचार

के संदर्भ में बांग्लादेश में चुनाव की घोषणा के बाद उत्पन्न हुई

यूनुस के द्वारा आवामी लीग पर चुनाव में रोक की चर्चा ने देश में राजनीतिक असुरक्षा पैदा कर दी है। उदाहरण के तौर पर, उन्होंने कहा कि “एवामी लीग को चुनाव में भाग लेने की अनुमति नहीं होगी” — जिससे बहुपक्षीय लोकतंत्र प्रभावित हो सकता है। इस वजह से प्रमुख विपक्षी दल एंक्शन में चुप्पी और अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। के संदर्भ में बांग्लादेश

चुनाव स्थगन और निरंतर उपायों का दबाव

यूनुस ने बार-बार संवैधानिक और संस्थागत सुधार को चुनाव से पहले जरूरी बताया है। लेकिन यह प्रक्रिया अभी भी जारी है—जिससे विपक्ष और जनता दोनों में जल्द चुनाव की मांग ने शक्ति पकड़ी है। जैसा कि Firstpost में कहा गया: “आने वाले समय में चुनाव स्थगित रहता है, यह विरोधियों में जलन बढ़ा सकता है”। के संदर्भ में बांग्लादेश

संवैधानिक और कानूनी वैधता पर सवाल

यूनुस interim सरकार संविधान के मूल सिद्धांतों से बाहर है—और संसद में उनकी नियुक्ति की वैधता पर विवाद चल रहा है। जैसे ही उन्होंने सत्ता संभाली, उनके खिलाफ “वैधानिक असंगतता” की अपीलें शुरू हो गईं। इस सबके बीच चुनाव आयोजन की कानूनी नींव कमजोर पड़ सकती है।

मीडिया और पत्रकारों पर अंकुश

यूनुस प्रशासन ने पत्रकारों पर व्यापक दबाव डाला—जिनमें दर्जनों पत्रकारों को नोटिस, मुकदमे और क्रिमिनल कार्रवाइयों का सामना करना पड़ा। ऐसा करते समय ही चुनाव की घोषणा आई—इससे मीडिया की निष्पक्षता और चुनावी माहौल पर सवाल खड़े हुए। के संदर्भ में बांग्लादेश

विरोधियों पर कार्रवाई और मानवाधिकार चिंताएँ

उनके कार्यकाल में “ऑपरेशन डेविल हंट” नामक अभियान चला, जिसमें हजारों समर्थकों—विशेषकर आवामी लीग के—को गिरफ़्तार किया गया। बड़ी संख्या में गिरफ्तारी से चुनाव के लिए दबाव कम हुआ, पर लोकतांत्रिक जामिन को गंभीर झटका लगा।

आर्थिक अस्थिरता और बाह्य संबंधों का असर

भारत के साथ तनाव बढ़ा—क्योंकि यूनुस ने खुलकर कहा कि भारत को शेख हसीना की प्रत्यर्पण में सहयोग करना चाहिए। इसके परिणामस्वरूप, वाणिज्यिक सीमाओं पर अटके कार्गो, विदेशी मुद्रा संकट, और व्यापार रुकावटें बढ़ गईं। ये आर्थिक उत्तेजना राजनीतिक माहौल को और बिगाड़ देती है।

विपक्षी एकता और “माइनस टू” फॉर्मूले का डर

बीएनपी और आवामी लीग दोनों शामिल विपक्षी पार्टियों में यूनुस के सत्ता पर बने रहने से असमंजस की स्थिति है। लोग सोचते हैं कि वह सत्ता में बने रहकर “माइनस टू” फॉर्मूला लागू करने का प्रयास कर सकते हैं—जिसमें प्रमुख दो पार्टियों को चुनाव से अलग रखा जाएगा।

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