2025 की पहली छमाही में, अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव चरम पर पहुंच गया था। हालांकि, हाल ही में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बातचीत ने इन तनावों को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। वाशिंगटन का कहना है कि टैरिफ
पृष्ठभूमि: व्यापार युद्ध की शुरुआत
अप्रैल 2025 में, राष्ट्रपति ट्रम्प ने “लिबरेशन डे” के अवसर पर चीन पर 145% तक के टैरिफ लगाए, जिसका जवाब चीन ने 125% टैरिफ के साथ दिया। इसने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं और बाजारों में अस्थिरता पैदा की। दोनों देशों ने मई में जिनेवा में एक 90-दिन की टैरिफ ट्रूस पर सहमति जताई, जिसमें अमेरिका ने टैरिफ को 30% और चीन ने 10% तक कम किया। वाशिंगटन का कहना है कि टैरिफ
ट्रंप का आरोप और चीन की प्रतिक्रिया
मई के अंत में, राष्ट्रपति ट्रम्प ने चीन पर इस ट्रूस का उल्लंघन करने का आरोप लगाया, विशेष रूप से दुर्लभ पृथ्वी खनिजों के निर्यात में देरी को लेकर। चीन ने इन आरोपों को खारिज करते हुए अमेरिका पर क्षेत्रीय तनाव बढ़ाने का आरोप लगाया।
शी जिनपिंग के साथ ट्रम्प की कॉल: एक निर्णायक मोड़
जून 2025 की शुरुआत में, राष्ट्रपति ट्रम्प और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच एक महत्वपूर्ण फोन कॉल हुई। इस बातचीत में दोनों नेताओं ने व्यापारिक मुद्दों पर चर्चा की और तनाव कम करने की दिशा में सहमति जताई। अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने इस कॉल को व्यापार वार्ता में गतिरोध तोड़ने वाला बताया। वाशिंगटन का कहना है कि टैरिफ
आर्थिक और वैश्विक प्रभाव
इस कॉल के बाद, अमेरिकी शेयर बाजारों में तेजी देखी गई, और वैश्विक निवेशकों में विश्वास बहाल हुआ। हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि यह केवल एक अस्थायी राहत है, और दीर्घकालिक समाधान के लिए दोनों देशों को और प्रयास करने होंगे।
आगे की राह
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका और चीन को पारदर्शिता, विश्वास और सहयोग के साथ आगे बढ़ना होगा। टैरिफ में कटौती और व्यापार वार्ताओं की बहाली से वैश्विक अर्थव्यवस्था को स्थिरता मिल सकती है।
निष्कर्ष
राष्ट्रपति ट्रम्प और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बातचीत ने अमेरिका-चीन व्यापारिक तनावों को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि, स्थायी समाधान के लिए दोनों देशों को निरंतर संवाद और सहयोग की आवश्यकता होगी।