
भारत और कनाडा के संबंध कई दशकों से मजबूत रहे हैं। दोनों देशों ने शिक्षा, व्यापार, सांस्कृतिक और लोकतांत्रिक मूल्यों में गहरा सहयोग किया है। लाखों भारतीय कनाडा में रहते हैं और दोनों देशों के बीच व्यापार का स्तर भी बढ़ रहा है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में राजनीतिक और कूटनीतिक मुद्दों के कारण इन संबंधों में तनाव पैदा हुआ है। खासकर खालिस्तानी आंदोलन को लेकर मतभेदों ने रिश्तों को प्रभावित किया है।
खालिस्तानी मुद्दे से बढ़ा तनाव
भारत को कनाडा में खालिस्तानी समर्थकों की सक्रियता पर चिंता रही है। भारत का मानना है कि कुछ संगठन और व्यक्ति वहां से अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं, जिससे उसकी आंतरिक सुरक्षा प्रभावित होती है। दूसरी ओर, कनाडा में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत इस मुद्दे पर काफी सहनशीलता देखी जाती है। 2023 में एक सिख नेता की हत्या के मामले में कनाडा द्वारा भारत पर लगाए गए आरोपों ने स्थिति को और खराब कर दिया। इस कारण दोनों देशों के बीच भरोसा कमजोर हुआ।
शिखर सम्मेलन का महत्व
ऐसे समय में जब दोनों देश किसी अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में मिलते हैं, तो यह दोनों के लिए तनाव कम करने और संवाद बढ़ाने का महत्वपूर्ण अवसर होता है। शिखर सम्मेलन औपचारिकता भर नहीं होते, बल्कि यहां कई बार गुप्त वार्ता और समझौतों की शुरुआत होती है। इससे द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की उम्मीद जगती है।
प्रवासियों और छात्रों पर असर
कनाडा में लाखों भारतीय प्रवासी रहते हैं, और भारतीय छात्र वहां उच्च शिक्षा के लिए जाते हैं। तनावपूर्ण राजनीतिक माहौल का असर इन समुदायों पर भी पड़ता है। वीज़ा नीतियां कड़ी हो सकती हैं और सामाजिक ताने-बाने में दरार आ सकती है। इसलिए दोनों सरकारों के लिए यह जरूरी है कि वे इन समुदायों के हितों को भी ध्यान में रखें और संबंधों को बेहतर बनाएं।
साझा वैश्विक मुद्दों पर सहयोग
जलवायु परिवर्तन, तकनीकी विकास, वैश्विक व्यापार सुरक्षा जैसे विषयों में भारत और कनाडा के हित एक जैसे हैं। इन क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने से दोनों देशों के बीच सकारात्मक माहौल बनेगा। यह पुराने मतभेदों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ने का रास्ता खोल सकता है।
प्रतीकात्मकता से आगे बढ़ने की जरूरत
यदि यह शिखर सम्मेलन केवल औपचारिक फोटो और भाषणों तक सीमित रह गया, तो यह एक अवसर का नुकसान होगा। दोनों देशों को ठोस और प्रभावी संवाद की आवश्यकता है, जिससे भविष्य में विश्वास बहाल हो सके और संबंध मजबूत हों।
निष्कर्ष: क्या दिखेगी रिश्तों में नई शुरुआत?
शिखर सम्मेलन कोई जादुई समाधान नहीं लेकर आएगा, लेकिन यह द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की दिशा में पहला कदम जरूर हो सकता है। यदि दोनों नेता खुले दिल से बातचीत करें और समझौता करने को तैयार हों, तो भारत और कनाडा के रिश्तों में नई ऊर्जा आ सकती है।