
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब चंद्रयान-4 मिशन की तैयारियों को तेज़ कर दिया है। इस बार भारत का मकसद केवल चांद पर उतरना ही नहीं, बल्कि वहां एक स्थायी लूनर बेस (Lunar Base) बनाने की दिशा में ठोस कदम बढ़ाना है।
इसरो का नया लक्ष्य
इसरो के वैज्ञानिकों के अनुसार, चंद्रयान-4 मिशन का प्राथमिक उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर लंबे समय तक रिसर्च करने की क्षमता विकसित करना होगा। इस मिशन के ज़रिए चांद की सतह पर उन्नत उपकरण, रोबोटिक सिस्टम और संभवतः मानव मिशन के लिए आधारभूत ढांचा तैयार किया जाएगा।
वैज्ञानिकों की उम्मीदें
एक वरिष्ठ इसरो अधिकारी ने कहा,
“चंद्रयान-3 ने भारत को वैश्विक अंतरिक्ष मानचित्र पर मज़बूती से स्थापित किया है। अब चंद्रयान-4 हमें अगले स्तर पर ले जाएगा, जहां हम चांद पर स्थायी बेस और भविष्य की मानव यात्रा की नींव रख पाएंगे।”
वैश्विक प्रतिस्पर्धा
अमेरिका, रूस और चीन पहले ही चांद पर स्थायी ठिकाने बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं। भारत का चंद्रयान-4 मिशन इस दौड़ में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारत की अंतरिक्ष शक्ति और भी मज़बूत होगी और वैज्ञानिक अनुसंधान में नई संभावनाएं खुलेंगी।
भविष्य की राह
इसरो का लक्ष्य है कि 2030 तक चंद्रमा पर एक मिनी रिसर्च स्टेशन बनाया जा सके। इसके अलावा, भारत मंगल और शुक्र ग्रह पर भी भविष्य के मिशनों की तैयारी कर रहा है।