
हर साल चैत्र माह की सप्तमी तिथि को मनाया जाने वाला शीतला सप्तमी (या अष्टमी) पर्व भारत के कई हिस्सों में विशेष श्रद्धा से मनाया जाता है। यह पर्व न केवल मौसम परिवर्तन का प्रतीक माना जाता है, बल्कि शीतला माता की पूजा के माध्यम से रोगों से मुक्ति और संतान प्राप्ति जैसी मनोकामनाओं की पूर्ति का भी अवसर है। खासकर गुरुग्राम का शीतला माता मंदिर इस अवसर पर भक्तों की भारी भीड़ का केंद्र बनता है।
महाभारत काल से जुड़ी मान्यता
गुरुग्राम स्थित शीतला माता मंदिर की ऐतिहासिक मान्यता अत्यंत गहरी है। मान्यता है कि इसी स्थान पर महाभारत काल में गुरु द्रोणाचार्य ने कौरवों और पांडवों को शस्त्र विद्या की शिक्षा दी थी। स्कंद पुराण में भी इस मंदिर का उल्लेख मिलता है। कहा जाता है कि ब्रह्मा जी ने शीतला माता को संसार को रोगमुक्त रखने का कार्य सौंपा था, और तभी से माता को रोगों की शांति और स्वास्थ्य की देवी के रूप में पूजा जाता है।
आस्था की डोरी: चुन्नी और मौली का महत्व
मंदिर में आने वाले श्रद्धालु माता से मनोकामना पूरी करने की कामना लेकर बरगद के पेड़ पर चुन्नी या मौली बांधते हैं। यह पेड़ मंदिर के मुख्य द्वार के पास स्थित है और इसे विशेष रूप से चमत्कारी माना जाता है। माता को जल अर्पण कर भक्त संतान प्राप्ति, सुख-समृद्धि और रोगों से मुक्ति की कामना करते हैं। यह स्थान ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, जाट, गुर्जर सहित कई समाजों के लोगों के लिए कुलदेवी स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।
मंदिर में विशेष पूजा और रस्में
गुरुग्राम का यह मंदिर शादी, मुंडन और अन्य धार्मिक कार्यों के लिए भी जाना जाता है। यहां भक्त माता को लाल दुपट्टा अर्पित करते हैं और मुरमुरा प्रसाद के रूप में चढ़ावा चढ़ाते हैं। यह माना जाता है कि माता का आशीर्वाद हर प्रकार की बीमारी, बाधा और नकारात्मकता को दूर करता है। विशेष रूप से छोटे बच्चों को यहां लाकर उनका मुंडन संस्कार करवाया जाता है ताकि वे स्वस्थ रहें और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षित रहें।
मंदिर का इतिहास और उत्पत्ति
शीतला माता मंदिर का इतिहास लगभग 500 वर्ष पुराना बताया जाता है। प्रारंभ में यह मंदिर दिल्ली के केशोपुर क्षेत्र में स्थित था। किंवदंती के अनुसार, लगभग ढाई से तीन सौ साल पहले माता ने गुरुग्राम के सिंघा जाट नामक व्यक्ति को स्वप्न में दर्शन देकर यहां मंदिर बनाने का निर्देश दिया था। इसके बाद इस पवित्र स्थल का निर्माण हुआ और यह आस्था का प्रमुख केंद्र बन गया।
कैसे पहुंचें शीतला माता मंदिर
गुरुग्राम स्थित इस मंदिर तक पहुंचना आज के समय में आसान है। सबसे उपयुक्त साधन मेट्रो है। येलो लाइन पर स्थित एम.जी. रोड मेट्रो स्टेशन और इफको चौक मेट्रो स्टेशन मंदिर के निकटतम स्टेशन हैं। एम.जी. रोड से मंदिर की दूरी लगभग 6 किलोमीटर है, जबकि इफको चौक से यह दूरी करीब 7 किलोमीटर है। यहां से ऑटो या टैक्सी लेकर मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र
हर वर्ष लगभग 15 लाख से अधिक श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। यह न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि लोगों की आस्था, परंपरा और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक भी है। शीतला माता का यह पावन स्थल भक्तों के लिए विश्वास, चमत्कार और शांति का मिलन स्थल बन चुका है।