
भारत के मध्य भाग में स्थित दो प्रसिद्ध नेशनल पार्क – पेंच नेशनल पार्क और ताडोबा अंधारी टाइगर रिज़र्व – वाइल्डलाइफ़ प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं हैं। यह वही जंगल हैं, जिन्होंने रुडयार्ड किपलिंग को “जंगल बुक” लिखने के लिए प्रेरित किया था। और आज भी, इन जंगलों में कदम रखते ही मोगली, बघीरा और शेर खान की कहानियाँ ज़हन में ताज़ा हो जाती हैं।
पेंच नेशनल पार्क: मोगली की असली दुनिया
पेंच नेशनल पार्क, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित है। यह पार्क खासतौर पर अपनी बाघों की आबादी के लिए जाना जाता है। घने सागौन और साल के पेड़ों से भरा यह जंगल इतना जीवंत है कि लगता है जैसे हर पेड़ कोई कहानी सुना रहा हो।
मुख्य आकर्षण:
बाघों की झलक: सफारी के दौरान बाघों का अचानक सामने आ जाना रोमांच से भर देता है।
स्लॉथ बियर, लकड़बग्घा और तेंदुआ: पेंच में बाघों के अलावा कई अन्य शिकारी जानवरों की झलक मिलती है।
जंगल बुक कनेक्शन: कहा जाता है कि यही जंगल मोगली की प्रेरणा का स्रोत था।
ताडोबा अंधारी टाइगर रिज़र्व: बाघों का गढ़
ताडोबा, महाराष्ट्र का सबसे पुराना और प्रसिद्ध टाइगर रिज़र्व है। यह न सिर्फ बाघों की संख्या में समृद्ध है, बल्कि यहाँ की विविध वनस्पतियाँ और जीव-जंतु इस सफारी को और खास बनाते हैं।
ताडोबा की खास बातें:
सुरक्षित बाघों की सबसे बड़ी आबादी: यहाँ बाघों की उपस्थिति की संभावना सबसे ज़्यादा होती है।
ताडोबा झील और अंधारी नदी: इन जलस्रोतों के किनारे अक्सर जानवरों को पानी पीते हुए देखा जा सकता है।
बर्ड वॉचिंग के लिए भी प्रसिद्ध: खासकर विंटर में प्रवासी पक्षी यहाँ की शोभा बढ़ाते हैं।
टाइगर सफारी का अनुभव
टाइगर सफारी, चाहे पेंच हो या ताडोबा, एक ही शब्द में बयान किया जा सकता है – “रोमांच”। सफारी वाहन की धीमी गति, जंगल की नीरवता और अचानक किसी जंगली जानवर की झलक आपको सिहरन से भर देती है।
सुझाव:
सफारी के लिए सुबह या शाम का समय सबसे उपयुक्त होता है।
कैमरा, बाइनोक्यूलर और शांत व्यवहार आवश्यक है – जानवरों को डराना नहीं चाहिए।
कहाँ ठहरें?
दोनों पार्कों के आस-पास कई अच्छे रिसॉर्ट्स और इको-लॉज हैं जो प्राकृतिक वातावरण में रहने का अनुभव कराते हैं। कुछ लोकप्रिय रिसॉर्ट्स:
पेंच में: Pench Jungle Camp, Tiger n Woods Resort
ताडोबा में: Svasara Jungle Lodge, Irai Safari Retreat
स्थानीय भोजन का स्वाद
घूमने के साथ-साथ आपको मध्य भारत का स्वादिष्ट देसी खाना भी मिलेगा। खासतौर पर झुनका भाकर, पोहे, और महाराष्ट्रीयन थाली यहाँ की खासियत है।
यात्रा की सही समय
नवंबर से मई: टाइगर सफारी के लिए सबसे उत्तम समय
मानसून (जून से सितंबर): यह समय यात्रा के लिए उपयुक्त नहीं है क्योंकि पार्क बंद रहते हैं
निष्कर्ष
पेंच और ताडोबा की यह रोमांचक यात्रा केवल जंगल घूमने तक सीमित नहीं है। यह अनुभव आपको प्रकृति से जुड़ने, जीव-जंतुओं के साथ सामंजस्य और मोगली की कल्पना से यथार्थ तक की यात्रा कराता है। यदि आप अपने जीवन में एक बार जंगल की असली दुनिया को देखना और महसूस करना चाहते हैं, तो पेंच और ताडोबा आपकी बकेट लिस्ट में ज़रूर शामिल होने चाहिए।