बांग्लादेश और भारत के बीच द्विपक्षीय क्रिकेट श्रृंखला एक बार फिर अनिश्चितता के घेरे में है। हाल ही में सूत्रों के अनुसार, भारतीय क्रिकेट टीम के आगामी बांग्लादेश दौरे पर दिल्ली का रुख अभी भी नकारात्मक है। नतीजतन, दोनों देशों के क्रिकेट प्रशंसकों के बीच इस बहुप्रतीक्षित श्रृंखला की मेजबानी को लेकर बड़े सवाल उठ रहे हैं। इसके मुख्य कारण राजनयिक तनाव, सुरक्षा चिंताएँ और क्रिकेट बोर्डों के बीच विश्वास की कमी हैं। दिल्ली ने भारतीय
श्रृंखला की मेजबानी का प्रस्ताव और पृष्ठभूमि
बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड (बीसीबी) पिछले कुछ महीनों से भारत को ढाका में एक पूर्ण श्रृंखला खेलने के लिए आमंत्रित कर रहा है। योजना के अनुसार, इस श्रृंखला में टेस्ट, वनडे और टी20 मैच शामिल होने थे। बांग्लादेशी प्रशंसकों के लिए यह विशेष उत्साह का विषय है, क्योंकि भारतीय टीम लंबे समय से नियमित रूप से बांग्लादेश का दौरा नहीं कर रही है। भारत के साथ घरेलू मैदान पर एक पूर्ण श्रृंखला का मतलब है एक अतिरिक्त उत्सवी माहौल और भारी वित्तीय लाभ। प्रसारण अधिकार, प्रायोजन, टिकट बिक्री – ये सभी बीसीबी के लिए भी एक बड़ा अवसर थे।
लेकिन खबर है कि दिल्ली ने अभी तक इस दौरे पर सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी है। भारतीय विदेश मंत्रालय और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के बीच कई बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है।
दिल्ली की आपत्ति के कारण
विश्लेषकों के अनुसार, दिल्ली की आपत्ति के पीछे कई कारण हैं:
सुरक्षा संबंधी चिंताएँ – हाल की राजनीतिक अशांति और क्षेत्रीय सुरक्षा ने भारत की चिंताओं को बढ़ा दिया है। भारतीय बोर्ड और सरकार का मानना है कि खिलाड़ियों के बांग्लादेश दौरे पर जाने पर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष उपाय किए जाने चाहिए। राजनयिक तनाव – दोनों देशों के बीच हाल ही में कुछ मुद्दों पर मतभेद बढ़े हैं। सीमा विवाद, व्यापार शुल्क और क्षेत्रीय राजनीति में उनकी स्थिति – इन कारणों से दिल्ली दौरे से बचने की कोशिश कर रही होगी।
कार्यक्रम संबंधी जटिलताएँ – भारतीय टीम का क्रिकेट कैलेंडर इस समय काफी व्यस्त है। आईपीएल, चैंपियनशिप, टेस्ट सीरीज़ और आईसीसी टूर्नामेंटों के कारण भारतीय खिलाड़ी शारीरिक और मानसिक तनाव में हैं। कई विशेषज्ञों का कहना है कि इसे ‘आधिकारिक कारण’ के रूप में सामने लाया जा रहा है।
बीसीबी की हताशा
हालाँकि बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड ने इस मामले पर सार्वजनिक रूप से ज़्यादा कुछ नहीं कहा है, लेकिन अंदर ही अंदर उसकी हताशा साफ़ दिखाई दे रही है। बोर्ड के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “हम लंबे समय से भारत के साथ द्विपक्षीय श्रृंखला की कोशिश कर रहे हैं। बांग्लादेशी प्रशंसक जब भारत आते हैं तो एक अलग ही भावना महसूस करते हैं। हालाँकि, हमें अभी तक उनकी ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं मिली है। हमें उम्मीद है कि आखिरी समय में हमें सकारात्मक खबर मिलेगी।”
बीसीबी का मानना है कि क्रिकेट संबंधी कारणों से भारत का दौरा न करना उचित नहीं है। इसलिए, उनका मानना है कि राजनीतिक या कूटनीतिक कारणों से इस मामले में देरी हो रही है।
प्रशंसकों की प्रतिक्रिया
बांग्लादेशी क्रिकेट प्रशंसक इस मामले को निराशाजनक मानते हैं। ढाका के मीरपुर में कुछ क्रिकेट प्रशंसकों ने कहा, “भारत के साथ मैच का मतलब एक अलग तरह का उत्साह होता है। अगर दौरा रद्द होता है, तो यह हमारे लिए बहुत दुखद होगा।” दूसरी ओर, कई प्रशंसक सोशल मीडिया पर शिकायत कर रहे हैं कि भारत हमेशा बांग्लादेशी धरती पर खेलने में अनिच्छा दिखाता है, जबकि बांग्लादेशी टीम नियमित रूप से भारत का दौरा करती है। कई लोग इस व्यवहार को ‘अनुचित’ बता रहे हैं।
क्रिकेट कूटनीति और क्षेत्रीय राजनीति
दोनों देशों के बीच क्रिकेट संबंध हमेशा से कूटनीति से जुड़े रहे हैं। राजनीतिक संबंधों में तनाव का असर क्रिकेट पर भी पड़ता है। अतीत में कई बार ऐसा देखा गया है कि जब दोनों देशों के बीच राजनीतिक संबंध गर्म होते हैं, तो द्विपक्षीय श्रृंखलाएँ बढ़ जाती हैं और जब रिश्ते ठंडे पड़ जाते हैं, तो श्रृंखला स्थगित कर दी जाती है।
विश्लेषकों का कहना है कि दिल्ली इस बार दौरे पर सहमति न देकर बांग्लादेश को एक राजनीतिक संदेश दे रही है। खासकर दक्षिण एशिया की क्षेत्रीय राजनीति में, बांग्लादेश कुछ क्षेत्रों में चीन से अपनी नज़दीकियाँ बढ़ा रहा है – जो भारत के लिए परेशानी का सबब है। यह स्थिति क्रिकेट में भी दिखाई देती है।
आर्थिक पहलू
बांग्लादेश के लिए, अगर भारत दौरा रद्द होता है, तो उसे भारी आर्थिक नुकसान होगा। बीसीबी की आय काफी हद तक विदेशी श्रृंखलाओं पर निर्भर है। भारतीय टीम के दौरे के दौरान टेलीविजन अधिकारों का मूल्य दोगुना हो जाता है। साथ ही, प्रायोजन के अवसर भी बढ़ जाते हैं। नतीजतन, अगर दौरा नहीं होता है, तो बीसीबी को बड़ा नुकसान होगा।
दूसरी ओर, यह श्रृंखला भारतीय बोर्ड के लिए ज़्यादा आर्थिक महत्व नहीं रखती, क्योंकि उनकी आय का मुख्य स्रोत आईपीएल और उनकी अपनी घरेलू श्रृंखलाएँ हैं। नतीजतन, आर्थिक पहलू से भी दिल्ली की अनिच्छा साफ़ दिखाई देती है।
वैकल्पिक योजना
बीसीबी अब वैकल्पिक योजना के तौर पर श्रीलंका या अफ़ग़ानिस्तान के साथ सीरीज़ आयोजित करने की कोशिश कर रहा है। हालाँकि, क्रिकेट विशेषज्ञों का मानना है कि भारत दौरे का महत्व दूसरे देशों के खिलाफ खेलकर पूरा नहीं किया जा सकता।
एक पूर्व राष्ट्रीय क्रिकेटर ने कहा, “बांग्लादेशी युवाओं के लिए, भारतीय टीम के खिलाफ खेलना एक अलग अनुभव है। विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे सितारों के खिलाफ खेलने से मानसिक दृढ़ता बढ़ती है। इस मौके को हाथ से नहीं जाने देना चाहिए।”
आईसीसी की भूमिका
अब सवाल यह उठता है कि क्या अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) हस्तक्षेप करेगी? आमतौर पर, द्विपक्षीय सीरीज़ बोर्ड के बीच समझौते पर आधारित होती हैं। हालाँकि, अगर किसी देश को राजनीतिक कारणों से नियमित रूप से टाला जाता है, तो आईसीसी उस पर नज़र रखता है। बांग्लादेश क्रिकेट विश्लेषकों का मानना है कि बीसीबी चाहे तो आईसीसी के सामने यह मुद्दा उठा सकता है। हालाँकि, आईसीसी में भारतीय बोर्ड का प्रभाव इतना मज़बूत है कि किसी भी सख्त कार्रवाई की संभावना कम ही है।
भविष्य में प्रभाव
भारतीय टीम का दौरा न करना लंबे समय में दोनों देशों के बीच क्रिकेट संबंधों को नुकसान पहुँचा सकता है। भले ही बांग्लादेशी खिलाड़ी भारतीय धरती पर आईपीएल में खेलें, लेकिन अगर द्विपक्षीय श्रृंखला नहीं होती है, तो प्रशंसकों में गुस्सा बढ़ेगा। साथ ही, इसका क्षेत्रीय खेल कूटनीति पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। खासकर दक्षिण एशिया में, जहाँ क्रिकेट को कूटनीति के एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, ऐसे फैसले राजनीतिक संदेश देते हैं।